चंद अल्फ़ाज़ पास बैठे हैं
बस यही ग़मशनास बैठे हैं
आपने आज ग़ौर फ़रमाया
हम अज़ल से उदास बैठे हैं
रब्तो-दीदारो-वस्लो-याराना
फिर ग़लत सब क़यास बैठे हैं
नफ़्स ही तो जुदा हुई दिल से
और भी ग़म पचास बैठे हैं
तख़्ते-हिंदोस्तां ख़ुदा हाफ़िज़
दुश्मने-क़ौम ख़ास बैठे हैं
यह सियासत नहीं अजूबा है
सब ख़ुदी से ख़लास बैठे हैं
रूहे-शायर को क्या मिली जन्नत
शैख़ सब बदहवास बैठे हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : चंद अल्फ़ाज़ : कुछ शब्द ; ग़मशनास : दुःख समझने वाले ; ग़ौर : ध्यान ; अज़ल : अनादिकाल ; रब्तो-दीदारो-वस्लो-याराना : संपर्क-दर्शन-मिलन और मित्रता ; क़यास : अनुमान ; नफ़्स : प्राण ; जुदा:विलग;
तख़्ते-हिंदोस्तां : भारत का राजासन ; दुश्मने-क़ौम : गण-शत्रु, अजूबा : विचित्र वस्तु ; ख़ुदी : स्वाभिमान ; ख़लास : रिक्त ; रूहे-शायर : शायर की आत्मा ; जन्नत : स्वर्ग ; शैख़ : धर्मांध व्यक्ति ।
बस यही ग़मशनास बैठे हैं
आपने आज ग़ौर फ़रमाया
हम अज़ल से उदास बैठे हैं
रब्तो-दीदारो-वस्लो-याराना
फिर ग़लत सब क़यास बैठे हैं
नफ़्स ही तो जुदा हुई दिल से
और भी ग़म पचास बैठे हैं
तख़्ते-हिंदोस्तां ख़ुदा हाफ़िज़
दुश्मने-क़ौम ख़ास बैठे हैं
यह सियासत नहीं अजूबा है
सब ख़ुदी से ख़लास बैठे हैं
रूहे-शायर को क्या मिली जन्नत
शैख़ सब बदहवास बैठे हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : चंद अल्फ़ाज़ : कुछ शब्द ; ग़मशनास : दुःख समझने वाले ; ग़ौर : ध्यान ; अज़ल : अनादिकाल ; रब्तो-दीदारो-वस्लो-याराना : संपर्क-दर्शन-मिलन और मित्रता ; क़यास : अनुमान ; नफ़्स : प्राण ; जुदा:विलग;
तख़्ते-हिंदोस्तां : भारत का राजासन ; दुश्मने-क़ौम : गण-शत्रु, अजूबा : विचित्र वस्तु ; ख़ुदी : स्वाभिमान ; ख़लास : रिक्त ; रूहे-शायर : शायर की आत्मा ; जन्नत : स्वर्ग ; शैख़ : धर्मांध व्यक्ति ।