सर मिरे सामने झुकाओगे
क्या ख़ुदा से बुरा बनाओगे
आस्मां से दुआएं बरसेंगी
गर हमें बज़्म में बिठाओगे
क़ब्र पर गर्द जम चुकी होगी
जब तलक तुम क़रीब आओगे !
हो चले हम ग़ुरुब दुआ देकर
अब सह् र तक किसे जलाओगे
फिर किया शाह पर यक़ीं तुमने
फिर किसी दिन फ़रेब खाओगे
नाम हिन्दोस्तान है मेरा
किस क़लम से मुझे मिटाओगे
लावा बहता है मिरे ज़ख़्मों से
तुम समंदर हो सूख जाओगे !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बज़्म: सभा, गोष्ठी; गर्द: धूल; ग़ुरुब: अस्त; सह् र: प्रातः; यक़ी: विश्वास; फ़रेब: छल, धोखा; क़लम: तूलिका, लेखनी, शब्दावली; ज़ख़्मों: घावों।
क्या ख़ुदा से बुरा बनाओगे
आस्मां से दुआएं बरसेंगी
गर हमें बज़्म में बिठाओगे
क़ब्र पर गर्द जम चुकी होगी
जब तलक तुम क़रीब आओगे !
हो चले हम ग़ुरुब दुआ देकर
अब सह् र तक किसे जलाओगे
फिर किया शाह पर यक़ीं तुमने
फिर किसी दिन फ़रेब खाओगे
नाम हिन्दोस्तान है मेरा
किस क़लम से मुझे मिटाओगे
लावा बहता है मिरे ज़ख़्मों से
तुम समंदर हो सूख जाओगे !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बज़्म: सभा, गोष्ठी; गर्द: धूल; ग़ुरुब: अस्त; सह् र: प्रातः; यक़ी: विश्वास; फ़रेब: छल, धोखा; क़लम: तूलिका, लेखनी, शब्दावली; ज़ख़्मों: घावों।
Sundar gazal sir
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