कोई बेहतर ख़्याल हो तो लाओ
ज़िंदगी का सवाल हो तो लाओ
शाह है मुल्क बेचने की धुन में
कोई क़ाबिल दलाल हो तो लाओ
मुर्ग़ियां खा के थक चुके हैं हम भी
माश या मूंग दाल हो तो लाओ
शायरों को 'ख़ुदा' रक़्म बांटेगा
आप भी सख़्त ख़ाल हो तो लाओ
दाल दिल्ली में हो गई है सस्ती
हाथ में नक़्द माल हो तो लाओ
है ज़रूरत तमाम चीज़ों की अब
नौकरी फिर बहाल हो तो लाओ
'सर झुका कर नियाज़ ही ले आते'
आपको यह मलाल हो तो लाओ !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़ाबिल: योग्य, दलाल: मध्यस्थ; माश: उड़द; नियाज़: पूर्वजों/मृतकों के सम्मान में किया जाने वाला भोज, भंडारा;
मलाल:खेद, दुःख ।
ज़िंदगी का सवाल हो तो लाओ
शाह है मुल्क बेचने की धुन में
कोई क़ाबिल दलाल हो तो लाओ
मुर्ग़ियां खा के थक चुके हैं हम भी
माश या मूंग दाल हो तो लाओ
शायरों को 'ख़ुदा' रक़्म बांटेगा
आप भी सख़्त ख़ाल हो तो लाओ
दाल दिल्ली में हो गई है सस्ती
हाथ में नक़्द माल हो तो लाओ
है ज़रूरत तमाम चीज़ों की अब
नौकरी फिर बहाल हो तो लाओ
'सर झुका कर नियाज़ ही ले आते'
आपको यह मलाल हो तो लाओ !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़ाबिल: योग्य, दलाल: मध्यस्थ; माश: उड़द; नियाज़: पूर्वजों/मृतकों के सम्मान में किया जाने वाला भोज, भंडारा;
मलाल:खेद, दुःख ।