क्यूं न हम आपको तहरीर बना कर रख लें
ख़्वाब में आएं कि तस्वीर बना कर रख लें
आप महफ़ूज़ हैं नज़्रों में हमारी यूं तो
या कहें, ख़्वाब की ताबीर बना कर रख लें
क़ैद में क्यूं रहें अश्'आर दिवाने दिल की
क्या ख़यालात की ज़ंजीर बना कर रख लें ?
घर की हालत ही नहीं आपको बुलाने की
दिल तो करता है कि दिलगीर बना कर रख लें
सख़्तजानीहा-ए-तन्हाई नहीं कम होती
लाख बोतल को बग़लगीर बना कर रख लें
और भी लोग शहर में हैं अना के आशिक़
आप भी सामां-ए-तौक़ीर बना कर रख लें !
लोग पढ़ते हैं तिरा नाम वज़ीफ़ों की तरह
हम भी इक नुस्ख:-ए-तस्ख़ीर बना कर रख लें ?!
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तहरीर: लेख, लिखावट; महफ़ूज़: सुरक्षित; अश्'आर: शे'र का बहुवचन; ख़यालात: विचारों; दिलगीर:मन को पकड़ कर रखने वाला; सख़्तजानीहा-ए-तन्हाई : अकेलेपन के प्राण निकलने की कठिनाइयां, अर्थात, एकांत के समाप्त होने की कठिनाइयां; बग़लगीर: सदा पार्श्व में रहने वाला; अना के आशिक़: अहंकार-प्रेमी; सामां-ए-तौक़ीर: प्रतिष्ठा की वस्तु; वज़ीफ़ों: चमत्कारी मंत्रों; नुस्ख:-ए-तस्ख़ीर: वशीकरण का उपाय।
ख़्वाब में आएं कि तस्वीर बना कर रख लें
आप महफ़ूज़ हैं नज़्रों में हमारी यूं तो
या कहें, ख़्वाब की ताबीर बना कर रख लें
क़ैद में क्यूं रहें अश्'आर दिवाने दिल की
क्या ख़यालात की ज़ंजीर बना कर रख लें ?
घर की हालत ही नहीं आपको बुलाने की
दिल तो करता है कि दिलगीर बना कर रख लें
सख़्तजानीहा-ए-तन्हाई नहीं कम होती
लाख बोतल को बग़लगीर बना कर रख लें
और भी लोग शहर में हैं अना के आशिक़
आप भी सामां-ए-तौक़ीर बना कर रख लें !
लोग पढ़ते हैं तिरा नाम वज़ीफ़ों की तरह
हम भी इक नुस्ख:-ए-तस्ख़ीर बना कर रख लें ?!
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तहरीर: लेख, लिखावट; महफ़ूज़: सुरक्षित; अश्'आर: शे'र का बहुवचन; ख़यालात: विचारों; दिलगीर:मन को पकड़ कर रखने वाला; सख़्तजानीहा-ए-तन्हाई : अकेलेपन के प्राण निकलने की कठिनाइयां, अर्थात, एकांत के समाप्त होने की कठिनाइयां; बग़लगीर: सदा पार्श्व में रहने वाला; अना के आशिक़: अहंकार-प्रेमी; सामां-ए-तौक़ीर: प्रतिष्ठा की वस्तु; वज़ीफ़ों: चमत्कारी मंत्रों; नुस्ख:-ए-तस्ख़ीर: वशीकरण का उपाय।