मैं तेरा ख़्वाब-ए-सबा हूं देख, सच हो जाऊंगा
तेरे दामन में बहारों की फसल बो जाऊंगा
अब्र-ए-बारिश हूं मैं लाया हूं उम्मीदों की झड़ी
चश्म-ए-नम हूं , तू जहां कह दे वहीं रो जाऊंगा
तुझसे वाबस्ता मेरी बस एक ही उम्मीद है
तू इजाज़त दे तो तेरी गोद में सो जाऊंगा
अर्श से उतरा हूं मैं बस एक मक़सद के लिए
सुर्ख़रू: कर के तुझे मुल्क-ए-अदम को जाऊंगा
इक मुबारक-सी दुआ हूं, मांग ले अल्लाह से
क्या ख़बर कब-किस शहर, किस मोड़ पे खो जाऊंगा
रोज़ मस्जिद से बुलावे आ रहे हैं आजकल
हो तलाश-ए-रिज़्क़ से फ़ुर्सत तभी तो जाऊंगा !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़्वाब-ए-सबा: प्रातःकाल का स्वप्न; अब्र-ए-बारिश : बरसने वाला बादल; चश्म-ए-नम : भीगे नयन लिए;
वाबस्ता: जुड़ी हुई; अर्श: आकाश; मक़सद: उद्देश्य; सुर्खरू: : आध्यात्मिक रूप से सफल; मुल्क-ए-अदम: परलोक,
ईश्वर का देश; तलाश-ए-रिज़्क़: रोज़ी-रोटी की खोज।
तेरे दामन में बहारों की फसल बो जाऊंगा
अब्र-ए-बारिश हूं मैं लाया हूं उम्मीदों की झड़ी
चश्म-ए-नम हूं , तू जहां कह दे वहीं रो जाऊंगा
तुझसे वाबस्ता मेरी बस एक ही उम्मीद है
तू इजाज़त दे तो तेरी गोद में सो जाऊंगा
अर्श से उतरा हूं मैं बस एक मक़सद के लिए
सुर्ख़रू: कर के तुझे मुल्क-ए-अदम को जाऊंगा
इक मुबारक-सी दुआ हूं, मांग ले अल्लाह से
क्या ख़बर कब-किस शहर, किस मोड़ पे खो जाऊंगा
रोज़ मस्जिद से बुलावे आ रहे हैं आजकल
हो तलाश-ए-रिज़्क़ से फ़ुर्सत तभी तो जाऊंगा !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़्वाब-ए-सबा: प्रातःकाल का स्वप्न; अब्र-ए-बारिश : बरसने वाला बादल; चश्म-ए-नम : भीगे नयन लिए;
वाबस्ता: जुड़ी हुई; अर्श: आकाश; मक़सद: उद्देश्य; सुर्खरू: : आध्यात्मिक रूप से सफल; मुल्क-ए-अदम: परलोक,
ईश्वर का देश; तलाश-ए-रिज़्क़: रोज़ी-रोटी की खोज।