इश्क़ था या कि आज़माइश थी
जो भी हो आपकी नवाज़िश थी
दोस्त थे तुम सितमज़रीफ़ न थे
और यह भी बड़ी सताइश थी
ग़ैर दिल के क़रीब आ बैठे
आपसे भी यही गुज़ारिश थी
दुश्मनी की दलील में उनकी
दोस्ती की हसीन ख़्वाहिश थी
रूहे-मरहूम का बयां लीजे
ख़ुदकुशी थी कि कोई साज़िश थी
ले उड़े रोज़गार ना-लायक़
जेब में ऊपरी सिफ़ारिश थी
ख़ुल्द भी बे-मज़ा जगह निकली
हर गली दर्द की नुमाइश थी !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आज़माइश : परीक्षा; नवाज़िश: देन ; सितमज़रीफ़ :हंस-हंस कर अत्याचार करने वाला; सताइश :प्रशंसा की बात; ग़ैर :अन्य, पराए; गुज़ारिश : निवेदन, प्रार्थना, अनुरोध; दलील :तर्क; हसीन :सुंदर; ख़्वाहिश :अभिलाषा; रूहे-मरहूम : मृतक की आत्मा; बयां :प्रतिवेदन; ख़ुदकुशी :आत्म-हत्या; साज़िश :षड्यंत्र; रोज़गार :आजीविका; ना-लायक़ :अपात्र, अयोग्य; सिफ़ारिश: अनुशंसा; ख़ुल्द :स्वर्ग; बे-मज़ा:आनंद-रहित; नुमाइश :प्रदर्शन।
जो भी हो आपकी नवाज़िश थी
दोस्त थे तुम सितमज़रीफ़ न थे
और यह भी बड़ी सताइश थी
ग़ैर दिल के क़रीब आ बैठे
आपसे भी यही गुज़ारिश थी
दुश्मनी की दलील में उनकी
दोस्ती की हसीन ख़्वाहिश थी
रूहे-मरहूम का बयां लीजे
ख़ुदकुशी थी कि कोई साज़िश थी
ले उड़े रोज़गार ना-लायक़
जेब में ऊपरी सिफ़ारिश थी
ख़ुल्द भी बे-मज़ा जगह निकली
हर गली दर्द की नुमाइश थी !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आज़माइश : परीक्षा; नवाज़िश: देन ; सितमज़रीफ़ :हंस-हंस कर अत्याचार करने वाला; सताइश :प्रशंसा की बात; ग़ैर :अन्य, पराए; गुज़ारिश : निवेदन, प्रार्थना, अनुरोध; दलील :तर्क; हसीन :सुंदर; ख़्वाहिश :अभिलाषा; रूहे-मरहूम : मृतक की आत्मा; बयां :प्रतिवेदन; ख़ुदकुशी :आत्म-हत्या; साज़िश :षड्यंत्र; रोज़गार :आजीविका; ना-लायक़ :अपात्र, अयोग्य; सिफ़ारिश: अनुशंसा; ख़ुल्द :स्वर्ग; बे-मज़ा:आनंद-रहित; नुमाइश :प्रदर्शन।