दिन रात ज़िंदगी से परेशां रहा करें
उस पर भी सर पे अर्श के एहसां रहा करें
ज़रदार को मु'आफ़ सभी रोज़:-ओ-नमाज़
सज्दे में बस ग़रीब मुसलमां रहा करें
रखते हैं जो निगाह हमारी निगाह पर
बेहतर है वो भी साहिबे-ईमां रहा करें
किस-किस की नफ़्रतों को हवा दीजिए यहां
बन कर किसी के चश्म के अरमां रहा करें
तफ़्रीहे-आसमां से ज़रा वक़्त ढूंढ कर
कुछ दिन ज़मीने-मुल्क के मेहमां रहा करें
सरमाय: नूर नेक कमाई है ज़ीस्त की
कोई गुनाह हो तो पशेमां रहा करें
इल्ज़ामे-कुफ़्र हमको गवारा नहीं मियां
सज्दों की फ़िक्र है तो मेह्रबां रहा करें !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: परेशां: विकल; अर्श: आकाश, ईश्वर; एहसां: अनुग्रह; ज़रदार: स्वर्णशाली, समृद्ध; मु'आफ़: क्षमा, मुक्ति; रोज़:-ओ-नमाज़ : व्रत और प्रार्थनाएं; सज्दे: भूमिवत प्रणाम; मुसलमां: आस्तिक; साहिबे-ईमां : आस्थावान; नफ़्रतों: घृणाओं; चश्म: नयन; अरमां:अभीष्ट; तफ़्रीहे-आसमां:आकाश की सैर; ज़मीने-मुल्क: देश की धरा; मेहमां: अतिथि; सरमाय: नूर: (आध्यात्मिक) प्रकाश की पूंजी; नेक:शुभ, पुण्य; ज़ीस्त:जीवन; गुनाह: अपराध; पशेमां: लज्जित; इल्ज़ामे-कुफ़्र: अनास्था का आरोप; गवारा : स्वीकार; मेह्रबां: कृपालु।
उस पर भी सर पे अर्श के एहसां रहा करें
ज़रदार को मु'आफ़ सभी रोज़:-ओ-नमाज़
सज्दे में बस ग़रीब मुसलमां रहा करें
रखते हैं जो निगाह हमारी निगाह पर
बेहतर है वो भी साहिबे-ईमां रहा करें
किस-किस की नफ़्रतों को हवा दीजिए यहां
बन कर किसी के चश्म के अरमां रहा करें
तफ़्रीहे-आसमां से ज़रा वक़्त ढूंढ कर
कुछ दिन ज़मीने-मुल्क के मेहमां रहा करें
सरमाय: नूर नेक कमाई है ज़ीस्त की
कोई गुनाह हो तो पशेमां रहा करें
इल्ज़ामे-कुफ़्र हमको गवारा नहीं मियां
सज्दों की फ़िक्र है तो मेह्रबां रहा करें !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: परेशां: विकल; अर्श: आकाश, ईश्वर; एहसां: अनुग्रह; ज़रदार: स्वर्णशाली, समृद्ध; मु'आफ़: क्षमा, मुक्ति; रोज़:-ओ-नमाज़ : व्रत और प्रार्थनाएं; सज्दे: भूमिवत प्रणाम; मुसलमां: आस्तिक; साहिबे-ईमां : आस्थावान; नफ़्रतों: घृणाओं; चश्म: नयन; अरमां:अभीष्ट; तफ़्रीहे-आसमां:आकाश की सैर; ज़मीने-मुल्क: देश की धरा; मेहमां: अतिथि; सरमाय: नूर: (आध्यात्मिक) प्रकाश की पूंजी; नेक:शुभ, पुण्य; ज़ीस्त:जीवन; गुनाह: अपराध; पशेमां: लज्जित; इल्ज़ामे-कुफ़्र: अनास्था का आरोप; गवारा : स्वीकार; मेह्रबां: कृपालु।