दर्द लाए हैं के: अश्'आर-ए-असर लाए हैं
आज क्या आप कोई ख़ास ख़बर लाए हैं
चंद अल्फ़ाज़े-हुनर और कुछ नए एहसास
जो भी लाए हैं बिना कोर-कसर लाए हैं
नाज़ो-अंदाज़ पे इतराएं क्यूं न वो: अपने
लूट कर हमसे दिलकशी की बहर लाए हैं
एक ही बूंद से क़िस्सा तमाम कर डाला
सुब्हान अल्लाह ! बड़ा तेज़ ज़हर लाए हैं
दाद का हक़ है हमें, काम बेमिसाल किया
हम शबे-तार की आंखों से सहर लाए हैं
राज़ है कुछ तो जो सीने में छिपा रक्खा है
जाम भर-भर के जो ये: ख़ुम्रे-नज़र लाए हैं
दिल बिछाएं के: नज़र कोई तो इस्ला: कीजे
तोहफ़:-ए-नूर ख़ुदा फिर मेरे घर लाए हैं !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अश्'आर-ए-असर: प्रभावी शे'र; अल्फ़ाज़े-हुनर: दक्षता-पूर्ण शब्द; नाज़ो-अंदाज़: भाव-भंगिमाएं; दिलकशी की बहर: मनमोहक छंद; सुब्हान अल्लाह: साधु-साधु; दाद: प्रशंसा; बेमिसाल: अनुपम; शबे-तार: अमावस्या; सहर: उष:काल; राज़: रहस्य; जाम: मदिरा-पात्र; ख़ुम्रे-नज़र: दृष्टि-रूपी मदिरा; इस्ला: : परामर्श; तोहफ़:-ए-नूर: प्रकाश का उपहार।
आज क्या आप कोई ख़ास ख़बर लाए हैं
चंद अल्फ़ाज़े-हुनर और कुछ नए एहसास
जो भी लाए हैं बिना कोर-कसर लाए हैं
नाज़ो-अंदाज़ पे इतराएं क्यूं न वो: अपने
लूट कर हमसे दिलकशी की बहर लाए हैं
एक ही बूंद से क़िस्सा तमाम कर डाला
सुब्हान अल्लाह ! बड़ा तेज़ ज़हर लाए हैं
दाद का हक़ है हमें, काम बेमिसाल किया
हम शबे-तार की आंखों से सहर लाए हैं
राज़ है कुछ तो जो सीने में छिपा रक्खा है
जाम भर-भर के जो ये: ख़ुम्रे-नज़र लाए हैं
दिल बिछाएं के: नज़र कोई तो इस्ला: कीजे
तोहफ़:-ए-नूर ख़ुदा फिर मेरे घर लाए हैं !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अश्'आर-ए-असर: प्रभावी शे'र; अल्फ़ाज़े-हुनर: दक्षता-पूर्ण शब्द; नाज़ो-अंदाज़: भाव-भंगिमाएं; दिलकशी की बहर: मनमोहक छंद; सुब्हान अल्लाह: साधु-साधु; दाद: प्रशंसा; बेमिसाल: अनुपम; शबे-तार: अमावस्या; सहर: उष:काल; राज़: रहस्य; जाम: मदिरा-पात्र; ख़ुम्रे-नज़र: दृष्टि-रूपी मदिरा; इस्ला: : परामर्श; तोहफ़:-ए-नूर: प्रकाश का उपहार।