उलझनों से भरा दिल नहीं चाहिए
मुफ़्त में कोई मुश्किल नहीं चाहिए
जान ले जाइए ग़म न होगा हमें
दाव:-ए-हस्रते-दिल नहीं चाहिए
बात ईमान की है वफ़ा की नहीं
इश्क़ में कोई हासिल नहीं चाहिए
आबले-पाऊं देते रहें हौसला
हर क़दम पर मराहिल नहीं चाहिए
रोकने आए हैं राह तूफ़ान की
फ़त्ह से क़ब्ल साहिल नहीं चाहिए
जीत या हार किरदार का खेल है
जंगे-मैदां में बुज़दिल नहीं चाहिए
साथ में चल रहा है हमारा क़फ़न
मेह्र्बानि-ए-क़ातिल नहीं चाहिए !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दाव:-ए-हस्रते-दिल : मन की इच्छाओं पर नियंत्रण; ईमान : आस्था; वफ़ा : निष्ठा; हासिल : उपलब्धि; आबले-पाऊं : पांव के छाले; हौसला : साहस; मराहिल : पड़ाव, विश्राम-स्थल; तूफ़ान : झंझावात; फ़त्ह : विजय; क़ब्ल : पूर्व; साहिल : तट, किनारा; किरदार : चरित्र, व्यक्तित्व; जंगे-मैदां : मैदानी युद्ध; बुज़दिल : कायर मेह्र्बानि-ए-क़ातिल : हत्यारे की कृपा।
मुफ़्त में कोई मुश्किल नहीं चाहिए
जान ले जाइए ग़म न होगा हमें
दाव:-ए-हस्रते-दिल नहीं चाहिए
बात ईमान की है वफ़ा की नहीं
इश्क़ में कोई हासिल नहीं चाहिए
आबले-पाऊं देते रहें हौसला
हर क़दम पर मराहिल नहीं चाहिए
रोकने आए हैं राह तूफ़ान की
फ़त्ह से क़ब्ल साहिल नहीं चाहिए
जीत या हार किरदार का खेल है
जंगे-मैदां में बुज़दिल नहीं चाहिए
साथ में चल रहा है हमारा क़फ़न
मेह्र्बानि-ए-क़ातिल नहीं चाहिए !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दाव:-ए-हस्रते-दिल : मन की इच्छाओं पर नियंत्रण; ईमान : आस्था; वफ़ा : निष्ठा; हासिल : उपलब्धि; आबले-पाऊं : पांव के छाले; हौसला : साहस; मराहिल : पड़ाव, विश्राम-स्थल; तूफ़ान : झंझावात; फ़त्ह : विजय; क़ब्ल : पूर्व; साहिल : तट, किनारा; किरदार : चरित्र, व्यक्तित्व; जंगे-मैदां : मैदानी युद्ध; बुज़दिल : कायर मेह्र्बानि-ए-क़ातिल : हत्यारे की कृपा।