दोस्त अक्सर वफ़ा नहीं करते
दोस्तों को ख़फ़ा नहीं करते
आप जीते रहें तकल्लुफ़ में
फ़ासले यूं मिटा नहीं करते
इब्ने-इंसां कमाल की शै हैं
सिर्फ़ मरके जफ़ा नहीं करते
क्यूं शिकायत न हो हमें कहिए
आप वादे वफ़ा नहीं करते
दूर रहिए हसीन चेहरों से
ये: इरादे सफ़ा नहीं करते
इश्क़-यारी, मुहब्बतो-उल्फ़त
टोटके हैं, शिफ़ा नहीं करते
हैं वही बदनसीब जो खुल कर
इश्क़ का हौसला नहीं करते
क्या कहें हम कि आप महफ़िल से
दुश्मनों को दफ़ा नहीं करते
चल पड़े हैं अवाम के दस्ते
कारवां ये: रुका नहीं करते !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: वफ़ा: निर्वाह; ख़फ़ा: रुष्ट; तकल्लुफ़: औपचारिकता; फ़ासले: अंतराल; इब्ने-इंसां: मनुष्य-संतान; शै: जीव;
जफ़ा: द्वेष, बे-ईमानी; वफ़ा: पूर्ण; हसीन: सुंदर; सफ़ा: सु-स्पष्ट; इश्क़-यारी: आसक्ति और मित्रता; मुहब्बतो-उल्फ़त: प्रेम और स्नेह;
शिफ़ा: आरोग्य; महफ़िल: गोष्ठी, सभा; दफ़ा: दूर; अवाम: आम जन; दस्ते: सैन्य-दल; कारवां: यात्री-दल।
दोस्तों को ख़फ़ा नहीं करते
आप जीते रहें तकल्लुफ़ में
फ़ासले यूं मिटा नहीं करते
इब्ने-इंसां कमाल की शै हैं
सिर्फ़ मरके जफ़ा नहीं करते
क्यूं शिकायत न हो हमें कहिए
आप वादे वफ़ा नहीं करते
दूर रहिए हसीन चेहरों से
ये: इरादे सफ़ा नहीं करते
इश्क़-यारी, मुहब्बतो-उल्फ़त
टोटके हैं, शिफ़ा नहीं करते
हैं वही बदनसीब जो खुल कर
इश्क़ का हौसला नहीं करते
क्या कहें हम कि आप महफ़िल से
दुश्मनों को दफ़ा नहीं करते
चल पड़े हैं अवाम के दस्ते
कारवां ये: रुका नहीं करते !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: वफ़ा: निर्वाह; ख़फ़ा: रुष्ट; तकल्लुफ़: औपचारिकता; फ़ासले: अंतराल; इब्ने-इंसां: मनुष्य-संतान; शै: जीव;
जफ़ा: द्वेष, बे-ईमानी; वफ़ा: पूर्ण; हसीन: सुंदर; सफ़ा: सु-स्पष्ट; इश्क़-यारी: आसक्ति और मित्रता; मुहब्बतो-उल्फ़त: प्रेम और स्नेह;
शिफ़ा: आरोग्य; महफ़िल: गोष्ठी, सभा; दफ़ा: दूर; अवाम: आम जन; दस्ते: सैन्य-दल; कारवां: यात्री-दल।