जानते हैं ख़फ़ा नहीं हैं वो:
बस ज़रा बेवफ़ा नहीं हैं वो:
दोस्त हैं हम उन्हें मना लेंगे
आपका मुद्द'आ नहीं हैं वो:
दुश्मने-जां नहीं मगर फिर भी
दर्दे-दिल की दवा नहीं हैं वो:
आसमां का निज़ाम क़ायम है
रास्ते से जुदा नहीं हैं वो:
आतिशे-ख़ूं रवां हैं रग़ रग़ में
सिर्फ़ रंगे-हिना नहीं हैं वो:
पीर हैं बादशाह हैं सब हैं
गो हमारे ख़ुदा नहीं हैं वो: !
आज शायद ग़ज़ल न हो पाए
आज जल्व: नुमा नहीं हैं वो : !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़फ़ा: रुष्ट; बेवफ़ा: बे-ईमान, निर्वाह न करने वाला; मुद्द'आ: विषय; दुश्मने-जां: प्राण का शत्रु; दर्दे-दिल: हृदय की पीड़ा; आसमां: ब्रह्माण्ड; निज़ाम: व्यवस्था; क़ायम: नियमित, सुचारु; आतिशे-ख़ूं: रक्त की ऊष्मा/अग्नि; प्रवाहित; रग़ रग़: नस-नस; रंगे-हिना: मेहंदी का रंग; पीर: पहुंचे हुए संत; जल्व: नुमा: प्रकट।
बस ज़रा बेवफ़ा नहीं हैं वो:
दोस्त हैं हम उन्हें मना लेंगे
आपका मुद्द'आ नहीं हैं वो:
दुश्मने-जां नहीं मगर फिर भी
दर्दे-दिल की दवा नहीं हैं वो:
आसमां का निज़ाम क़ायम है
रास्ते से जुदा नहीं हैं वो:
आतिशे-ख़ूं रवां हैं रग़ रग़ में
सिर्फ़ रंगे-हिना नहीं हैं वो:
पीर हैं बादशाह हैं सब हैं
गो हमारे ख़ुदा नहीं हैं वो: !
आज शायद ग़ज़ल न हो पाए
आज जल्व: नुमा नहीं हैं वो : !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़फ़ा: रुष्ट; बेवफ़ा: बे-ईमान, निर्वाह न करने वाला; मुद्द'आ: विषय; दुश्मने-जां: प्राण का शत्रु; दर्दे-दिल: हृदय की पीड़ा; आसमां: ब्रह्माण्ड; निज़ाम: व्यवस्था; क़ायम: नियमित, सुचारु; आतिशे-ख़ूं: रक्त की ऊष्मा/अग्नि; प्रवाहित; रग़ रग़: नस-नस; रंगे-हिना: मेहंदी का रंग; पीर: पहुंचे हुए संत; जल्व: नुमा: प्रकट।