ख़ुदा को सामने रख कर बताओ, क्या इरादा है
हमारा दर्द कम है या तुम्हारा शौक़ ज़्यादा है ?
हमारी अक़्ल पर पत्थर पड़े थे या कि क़िस्मत पर
मिला जो हमनफ़स हमको, सरासर शैख़ज़ादा है
तुम्हीं जानो, हमारा साथ तुम कैसे निभाओगे
तुम्हारे शौक़ शाही हैं, हमारी लौह सादा है
नदामत को हमारी और किस हद तक उतारोगे
तुम्हारे पांव के नीचे हमारा ही बुरादा है
शहंश: ही सही, लेकिन तुम्हें पहचानते हैं सब
तुम्हारी नंग के सर पर, शराफ़त का लबादा है
ख़ुदा ने क्यूं अवामे-हिंद से यह दुश्मनी की है
शहंशाहे-वतन सरमाएदारों का प्यादा है
ज़ुबां पर वो हमारी लाख पाबंदी लगा डालें
ग़ज़ल हर हाल में हो कर रहेगी आज, वादा है !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हमनफ़स: साथी, चिर-मित्र; सरासर: पूर्णतः; शैख़ज़ादा: धर्मोपदेशक की संतान; लौह: व्यक्तित्व; नदामत: लज्जा; बुरादा: लकड़ी काटने-छीलने में बिखरे हुए अंश, छीलन; शहंश:: शहंशाह का लघु; नंग: नग्नता; शराफ़त: सभ्यता; लबादा: सर से पांव तक आने वाला वस्त्र, आवरण; अवामे-हिंद: भारत के जन-सामान्य; शहंशाहे-वतन: देश का शासक; सरमाएदारों: पूँजीपतियों; प्यादा: पैदल सैनिक, शतरंज का सबसे छोटा मोहरा; ज़ुबां: जिव्हा, वाणी; पाबंदी: प्रतिबंध।
हमारा दर्द कम है या तुम्हारा शौक़ ज़्यादा है ?
हमारी अक़्ल पर पत्थर पड़े थे या कि क़िस्मत पर
मिला जो हमनफ़स हमको, सरासर शैख़ज़ादा है
तुम्हीं जानो, हमारा साथ तुम कैसे निभाओगे
तुम्हारे शौक़ शाही हैं, हमारी लौह सादा है
नदामत को हमारी और किस हद तक उतारोगे
तुम्हारे पांव के नीचे हमारा ही बुरादा है
शहंश: ही सही, लेकिन तुम्हें पहचानते हैं सब
तुम्हारी नंग के सर पर, शराफ़त का लबादा है
ख़ुदा ने क्यूं अवामे-हिंद से यह दुश्मनी की है
शहंशाहे-वतन सरमाएदारों का प्यादा है
ज़ुबां पर वो हमारी लाख पाबंदी लगा डालें
ग़ज़ल हर हाल में हो कर रहेगी आज, वादा है !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हमनफ़स: साथी, चिर-मित्र; सरासर: पूर्णतः; शैख़ज़ादा: धर्मोपदेशक की संतान; लौह: व्यक्तित्व; नदामत: लज्जा; बुरादा: लकड़ी काटने-छीलने में बिखरे हुए अंश, छीलन; शहंश:: शहंशाह का लघु; नंग: नग्नता; शराफ़त: सभ्यता; लबादा: सर से पांव तक आने वाला वस्त्र, आवरण; अवामे-हिंद: भारत के जन-सामान्य; शहंशाहे-वतन: देश का शासक; सरमाएदारों: पूँजीपतियों; प्यादा: पैदल सैनिक, शतरंज का सबसे छोटा मोहरा; ज़ुबां: जिव्हा, वाणी; पाबंदी: प्रतिबंध।