तेरी नज़रों में ऐतबार नहीं
तू मेरी बज़्म का किरदार नहीं
ये: ख़िजाएं क़ुबूल हैं हमको
हम बहारों के कर्ज़दार नहीं
ख़ास एहबाब की नशिस्त है ये:
आप फ़ेहरिस्त में शुमार नहीं
सौदा-ए-दिल सुकून में कीजे
ये: तिजारत सरे-बाज़ार नहीं
लोग डरते हैं कामयाबी से
मरहले इश्क़ के दुश्वार नहीं
आ किसी और शहर चलते हैं
यां कोई आज ग़मगुसार नहीं
शोर करते हैं जो वफ़ाओं का
वो: शबे-ग़म के राज़दार नहीं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ऐतबार: विश्वास; बज़्म: गोष्ठी; किरदार: चरित्र; ख़िजाएं: पतझड़; ऋणी; ख़ास एहबाब: विशिष्ट मित्र-गण;
नशिस्त: सभा, गोष्ठी; फ़ेहरिस्त: सूची; शुमार: सम्मिलित, गण्य; सौदा-ए-दिल: हृदय का लेन-देन; सुकून: निश्चिंतता;
तिजारत: व्यापार; सरे-बाज़ार: बीच बाज़ार; मरहले: पड़ाव; दुश्वार: कठिन; यां: यहां; ग़मगुसार: दुःख में सांत्वना देने वाला;
शबे-ग़म: दुःख की निशा; राज़दार: रहस्य में भागीदार।
तू मेरी बज़्म का किरदार नहीं
ये: ख़िजाएं क़ुबूल हैं हमको
हम बहारों के कर्ज़दार नहीं
ख़ास एहबाब की नशिस्त है ये:
आप फ़ेहरिस्त में शुमार नहीं
सौदा-ए-दिल सुकून में कीजे
ये: तिजारत सरे-बाज़ार नहीं
लोग डरते हैं कामयाबी से
मरहले इश्क़ के दुश्वार नहीं
आ किसी और शहर चलते हैं
यां कोई आज ग़मगुसार नहीं
शोर करते हैं जो वफ़ाओं का
वो: शबे-ग़म के राज़दार नहीं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ऐतबार: विश्वास; बज़्म: गोष्ठी; किरदार: चरित्र; ख़िजाएं: पतझड़; ऋणी; ख़ास एहबाब: विशिष्ट मित्र-गण;
नशिस्त: सभा, गोष्ठी; फ़ेहरिस्त: सूची; शुमार: सम्मिलित, गण्य; सौदा-ए-दिल: हृदय का लेन-देन; सुकून: निश्चिंतता;
तिजारत: व्यापार; सरे-बाज़ार: बीच बाज़ार; मरहले: पड़ाव; दुश्वार: कठिन; यां: यहां; ग़मगुसार: दुःख में सांत्वना देने वाला;
शबे-ग़म: दुःख की निशा; राज़दार: रहस्य में भागीदार।