शहादत के हक़ में शियाने अली
चले कर्बला आशिक़ाने अली
उठें ज़ुल्म की आंधियां रात दिन
रुकेगा न अब कारवाने अली
जहां हक़-ओ-इंसाफ़ की जंग हो
लड़ेंगे तुम्हारे दिवाने अली
हमें डर नहीं मुश्किलों का ज़रा
हिफ़ाज़त को हैं साहिबाने अली
यज़ीदी सितम भी निभा जाएंगे
जियाले हैं सब नौजवाने अली
सदी दर सदी लोग कहते रहे
जवां ही रही दास्ताने अली
इधर फ़ातिमा तो उधर मुस्तफ़ा
खड़े हैं हमारे सरहाने अली !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शहादत : बलिदान; हक़ : पक्ष; शियाने अली: हज़रत अली हैदर मौला अ. स.के मित्र एवं शुभचिंतक;
कर्बला : सऊदी अरब का एक स्थान जहां हज़रत इमाम हुसैन और यज़ीद की सेनाओं के बीच इस्लाम का धर्म-युद्ध लड़ा गया था; आशिक़ाने अली : अली के प्रेमी जन; कारवाने अली : हज़रत अली अ. स. के साथियों का समूह; हिफ़ाज़त : सुरक्षा; साहिबाने अली : हज़रत अली अ.स. के कृपा पात्र; यज़ीदी सितम : यज़ीद की सेना के भयंकर अत्याचार; जियाले: साहसी; दास्ताने अली : हज़रत अली अ. स. के आख्यान; फ़ातिमा : हज़रत मोहम्मद स. अ. व. की सुपुत्री एवं हज़रत अली अ. स. की जीवन संगिनी; मुस्तफ़ा : पवित्र, पैग़ंबर ।
चले कर्बला आशिक़ाने अली
उठें ज़ुल्म की आंधियां रात दिन
रुकेगा न अब कारवाने अली
जहां हक़-ओ-इंसाफ़ की जंग हो
लड़ेंगे तुम्हारे दिवाने अली
हमें डर नहीं मुश्किलों का ज़रा
हिफ़ाज़त को हैं साहिबाने अली
यज़ीदी सितम भी निभा जाएंगे
जियाले हैं सब नौजवाने अली
सदी दर सदी लोग कहते रहे
जवां ही रही दास्ताने अली
इधर फ़ातिमा तो उधर मुस्तफ़ा
खड़े हैं हमारे सरहाने अली !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शहादत : बलिदान; हक़ : पक्ष; शियाने अली: हज़रत अली हैदर मौला अ. स.के मित्र एवं शुभचिंतक;
कर्बला : सऊदी अरब का एक स्थान जहां हज़रत इमाम हुसैन और यज़ीद की सेनाओं के बीच इस्लाम का धर्म-युद्ध लड़ा गया था; आशिक़ाने अली : अली के प्रेमी जन; कारवाने अली : हज़रत अली अ. स. के साथियों का समूह; हिफ़ाज़त : सुरक्षा; साहिबाने अली : हज़रत अली अ.स. के कृपा पात्र; यज़ीदी सितम : यज़ीद की सेना के भयंकर अत्याचार; जियाले: साहसी; दास्ताने अली : हज़रत अली अ. स. के आख्यान; फ़ातिमा : हज़रत मोहम्मद स. अ. व. की सुपुत्री एवं हज़रत अली अ. स. की जीवन संगिनी; मुस्तफ़ा : पवित्र, पैग़ंबर ।