काश ! दिल को क़रार आ जाए
कारवां - ए - बहार आ जाए
कौन कम्बख़्त ख़ुम्र मांगे है
जो नज़र में ख़ुमार आ जाए
ख़्वाब भी आएंगे निगाहों में
नींद पर इख़्तियार आ जाए
दिलकुशी की वजह ज़रा-सी है
आपको ऐतबार आ जाए
दोस्ती चार दिन नहीं चलती
गर दिलों में दरार आ जाए
हो हुकूमत यज़ीद की हम पर
तो क़यामत हज़ार आ जाए
ज़िंदगी रोज़ मार डाले है
मौत ही एक बार आ जाए
हो अज़ां-ए-फजर तेरे मुंह से
तो शबे-इंतेज़ार आ जाए
बोरिया बंध गया हमारा अब
आस्मां से पुकार आ जाए !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़रार: धैर्य, संतोष; कारवां-ए-बहार: दल-बल सहित बसंत; कम्बख़्त: अभागा; ख़ुम्र: मदिरा; ख़ुमार: मद; इख़्तियार: नियंत्रण; दिलकुशी: मन पर नियंत्रण, इच्छाओं का दमन; ऐतबार: विश्वास; गर: यदि; यज़ीद: हज़रत इमाम हुसैन स.अ. और उनके साथियों का हत्यारा; क़यामत: प्रलय; अज़ां-ए-फजर: उष:काल के समय होने वाली अज़ान; शबे-इंतेज़ार: प्रतीक्षा की रात्रि; बोरिया: बिस्तर-बोरिया, यात्रा का सामान
कारवां - ए - बहार आ जाए
कौन कम्बख़्त ख़ुम्र मांगे है
जो नज़र में ख़ुमार आ जाए
ख़्वाब भी आएंगे निगाहों में
नींद पर इख़्तियार आ जाए
दिलकुशी की वजह ज़रा-सी है
आपको ऐतबार आ जाए
दोस्ती चार दिन नहीं चलती
गर दिलों में दरार आ जाए
हो हुकूमत यज़ीद की हम पर
तो क़यामत हज़ार आ जाए
ज़िंदगी रोज़ मार डाले है
मौत ही एक बार आ जाए
हो अज़ां-ए-फजर तेरे मुंह से
तो शबे-इंतेज़ार आ जाए
बोरिया बंध गया हमारा अब
आस्मां से पुकार आ जाए !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़रार: धैर्य, संतोष; कारवां-ए-बहार: दल-बल सहित बसंत; कम्बख़्त: अभागा; ख़ुम्र: मदिरा; ख़ुमार: मद; इख़्तियार: नियंत्रण; दिलकुशी: मन पर नियंत्रण, इच्छाओं का दमन; ऐतबार: विश्वास; गर: यदि; यज़ीद: हज़रत इमाम हुसैन स.अ. और उनके साथियों का हत्यारा; क़यामत: प्रलय; अज़ां-ए-फजर: उष:काल के समय होने वाली अज़ान; शबे-इंतेज़ार: प्रतीक्षा की रात्रि; बोरिया: बिस्तर-बोरिया, यात्रा का सामान