यूं तो तुमने सारी दुनिया देखी है
अपने घर की हालत भी क्या देखी है
क़ासिद की आंखों में क्यूं कर पानी है
क्या उसने भी दिल की दुनिया देखी है
हम यूं ही मायूस नहीं इस दुनिया से
हर शै मतलब से वाबस्ता देखी है
काग़ज़ की कश्ती ही सबसे बेहतर है
दीवानों ने मौजे- दरिया देखी है
क्या तुमने झुकने के मानी सीखे हैं
हमने तो मीनारे-पीसा देखी है
पहचानो हमको, यह बेहद आसां है
गर तुमने तस्वीरे - ईसा देखी है
क़िस्मत समझो, हम ख़्वाबों में आते हैं
यह सूरत किसने बेपर्दा देखी है !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़ासिद: संदेश-वाहक; शै: प्रकृति की रचना; वाबस्ता: संबद्ध, जुड़ी हुई; कश्ती: नाव; मौजे- दरिया: नदी की लहर;
मीनारे-पीसा: पीसा ( इटली ) की प्रसिद्ध झूलती मीनार।
अपने घर की हालत भी क्या देखी है
क़ासिद की आंखों में क्यूं कर पानी है
क्या उसने भी दिल की दुनिया देखी है
हम यूं ही मायूस नहीं इस दुनिया से
हर शै मतलब से वाबस्ता देखी है
काग़ज़ की कश्ती ही सबसे बेहतर है
दीवानों ने मौजे- दरिया देखी है
क्या तुमने झुकने के मानी सीखे हैं
हमने तो मीनारे-पीसा देखी है
पहचानो हमको, यह बेहद आसां है
गर तुमने तस्वीरे - ईसा देखी है
क़िस्मत समझो, हम ख़्वाबों में आते हैं
यह सूरत किसने बेपर्दा देखी है !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़ासिद: संदेश-वाहक; शै: प्रकृति की रचना; वाबस्ता: संबद्ध, जुड़ी हुई; कश्ती: नाव; मौजे- दरिया: नदी की लहर;
मीनारे-पीसा: पीसा ( इटली ) की प्रसिद्ध झूलती मीनार।