मुहब्बत से दिल को बचाना पड़ेगा
हसीनों से पीछा छुड़ाना पड़ेगा
इलाजे-ग़मे-दिल को जाएं कहां हम
हकीमों को क़िस्सा सुनाना पड़ेगा
मेरी बंदगी उनको भारी पड़ेगी
गिरा तो उन्हीं को उठाना पड़ेगा
बड़े आए आशिक़ मुहब्बत जताने
ख़बर भी है क्या-क्या लुटाना पड़ेगा
न खोलेंगे वो: आज दरवाज़े दिल के
हमें ज़ोर से खटखटाना पड़ेगा
इबादत में अल्ल: वफ़ा चाहता है
तो ज़ाहिर है ईमान लाना पड़ेगा
फ़राइज़-ए-रमज़ान आसां न होंगे
के: मस्जिद में हर रोज़ जाना पड़ेगा !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: इलाजे-ग़मे-दिल: हृदय के दु:खों का उपचार; बंदगी: भक्ति; फ़राइज़-ए-रमज़ान: रमज़ान के कर्त्तव्य।
हसीनों से पीछा छुड़ाना पड़ेगा
इलाजे-ग़मे-दिल को जाएं कहां हम
हकीमों को क़िस्सा सुनाना पड़ेगा
मेरी बंदगी उनको भारी पड़ेगी
गिरा तो उन्हीं को उठाना पड़ेगा
बड़े आए आशिक़ मुहब्बत जताने
ख़बर भी है क्या-क्या लुटाना पड़ेगा
न खोलेंगे वो: आज दरवाज़े दिल के
हमें ज़ोर से खटखटाना पड़ेगा
इबादत में अल्ल: वफ़ा चाहता है
तो ज़ाहिर है ईमान लाना पड़ेगा
फ़राइज़-ए-रमज़ान आसां न होंगे
के: मस्जिद में हर रोज़ जाना पड़ेगा !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: इलाजे-ग़मे-दिल: हृदय के दु:खों का उपचार; बंदगी: भक्ति; फ़राइज़-ए-रमज़ान: रमज़ान के कर्त्तव्य।