रहे-सफ़र तमाम लोग आसपास रहे
हमीं थे बेक़रार, अर्श तक उदास रहे
हमें ये: रंज नहीं क्या गंवा दिया हमने
मिला है जो उसी को ले के बदहवास रहे
बहार फिर क़रीब से गुज़र गई मेरे
वो: ख़ुशनसीब थे, बादे-सबा के ख़ास रहे
ख़ुदा न कर सका हमारे हक़ में इतना भी
कि मुश्किलों के वक़्त कोई ग़मशनास रहे
न ऐतबार हो सका किसी करिश्मे पर
ज़ेह्न में मग़फ़िरत के नाम बस क़यास रहे
मिली न नींद सुकूं की अज़ल तलक हमको
हरेक रात मगर ख़्वाब आसपास रहे
करम का माद्दा अगर न हो तो बतला दे
किसी ग़रीब के दिल में न कोई आस रहे !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रहे-सफ़र: यात्रा-पथ में; बेक़रार: व्याकुल; अर्श: आकाश; रंज: खेद; बदहवास: आशंकित, बादे-सबा: शीतल समीर;
ग़मशनास: दुःख में सांत्वना देने वाला; ऐतबार: विश्वास; करिश्मा: चमत्कार; ज़ेह्न: मस्तिष्क; मग़फ़िरत: मोक्ष;
क़यास: अनुमान; सुकूं: संतोष; अज़ल: मृत्यु; करम: कृपा; माद्दा: सामर्थ्य।
हमीं थे बेक़रार, अर्श तक उदास रहे
हमें ये: रंज नहीं क्या गंवा दिया हमने
मिला है जो उसी को ले के बदहवास रहे
बहार फिर क़रीब से गुज़र गई मेरे
वो: ख़ुशनसीब थे, बादे-सबा के ख़ास रहे
ख़ुदा न कर सका हमारे हक़ में इतना भी
कि मुश्किलों के वक़्त कोई ग़मशनास रहे
न ऐतबार हो सका किसी करिश्मे पर
ज़ेह्न में मग़फ़िरत के नाम बस क़यास रहे
मिली न नींद सुकूं की अज़ल तलक हमको
हरेक रात मगर ख़्वाब आसपास रहे
करम का माद्दा अगर न हो तो बतला दे
किसी ग़रीब के दिल में न कोई आस रहे !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रहे-सफ़र: यात्रा-पथ में; बेक़रार: व्याकुल; अर्श: आकाश; रंज: खेद; बदहवास: आशंकित, बादे-सबा: शीतल समीर;
ग़मशनास: दुःख में सांत्वना देने वाला; ऐतबार: विश्वास; करिश्मा: चमत्कार; ज़ेह्न: मस्तिष्क; मग़फ़िरत: मोक्ष;
क़यास: अनुमान; सुकूं: संतोष; अज़ल: मृत्यु; करम: कृपा; माद्दा: सामर्थ्य।