ग़रीबों का दुश्मन है लुटियन मुहल्ला
लुटेरों का गुलशन है लुटियन मुहल्ला
यहां ज़ीस्त महफ़ूज़ कैसे रहेगी
लफ़ंगों की पल्टन है लुटियन मुहल्ला
भटकते हैं हाथों में कश्कोल लेकर
अदीबों की फिसलन है लुटियन मुहल्ला
यहां एक लम्हे में बिकता है ईमां
सियासत की धड़कन है लुटियन मुहल्ला
न शाइस्तगी है न तहज़ीब बाक़ी
मदरसा-ए-बदज़न है लुटियन मुहल्ला
बड़ी तल्ख़ है ज़िंदगी की हक़ीक़त
बड़ा तंग दामन है लुटियन मुहल्ला
मकां हंस रहे हैं मकीं की अना पर
फ़िरंगी की जूठन है लुटियन मुहल्ला !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: लुटियन मुहल्ला: नगर नियोजक लुट्येन द्वारा आकल्पित नई दिल्ली; ज़ीस्त: जीवन क्रम; महफ़ूज़: सुरक्षित; लफ़ंगों:उपद्रवियों; पल्टन: प्लाटून, सेना की टुकड़ी; कश्कोल: कुम्हड़े से बना भिक्षा-पात्र; अदीबों: साहित्यकारों; लम्हे: क्षण;
ईमां: आस्था; सियासत:राजनीति; शाइस्तगी: शिष्टता, विनम्रता; तहज़ीब: सभ्यता; मदरसा-ए-बदज़न: दुश् चरित्रों की पाठशाला;
तल्ख़: तीक्ष्ण; ज़िंदगी: जीवन; हक़ीक़त: यथार्थ; मकां: आवास; मकीं: निवासी; अना: घमंड; फ़िरंगी: अंग्रेज़।
लुटेरों का गुलशन है लुटियन मुहल्ला
यहां ज़ीस्त महफ़ूज़ कैसे रहेगी
लफ़ंगों की पल्टन है लुटियन मुहल्ला
भटकते हैं हाथों में कश्कोल लेकर
अदीबों की फिसलन है लुटियन मुहल्ला
यहां एक लम्हे में बिकता है ईमां
सियासत की धड़कन है लुटियन मुहल्ला
न शाइस्तगी है न तहज़ीब बाक़ी
मदरसा-ए-बदज़न है लुटियन मुहल्ला
बड़ी तल्ख़ है ज़िंदगी की हक़ीक़त
बड़ा तंग दामन है लुटियन मुहल्ला
मकां हंस रहे हैं मकीं की अना पर
फ़िरंगी की जूठन है लुटियन मुहल्ला !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: लुटियन मुहल्ला: नगर नियोजक लुट्येन द्वारा आकल्पित नई दिल्ली; ज़ीस्त: जीवन क्रम; महफ़ूज़: सुरक्षित; लफ़ंगों:उपद्रवियों; पल्टन: प्लाटून, सेना की टुकड़ी; कश्कोल: कुम्हड़े से बना भिक्षा-पात्र; अदीबों: साहित्यकारों; लम्हे: क्षण;
ईमां: आस्था; सियासत:राजनीति; शाइस्तगी: शिष्टता, विनम्रता; तहज़ीब: सभ्यता; मदरसा-ए-बदज़न: दुश् चरित्रों की पाठशाला;
तल्ख़: तीक्ष्ण; ज़िंदगी: जीवन; हक़ीक़त: यथार्थ; मकां: आवास; मकीं: निवासी; अना: घमंड; फ़िरंगी: अंग्रेज़।