इश्क़ के मानी बताएं क्या तुम्हें
राह अनजानी बताएं क्या तुम्हें
एक ग़म हो तो तुम्हें तकलीफ़ दें
हर परेशानी बताएं क्या तुम्हें
कामयाबी के लिए कितना गिरे
ये पशेमानी बताएं क्या तुम्हें
शाह हमसे मांगता है किसलिए
रोज़ क़ुर्बानी बताएं क्या तुम्हें
मग़फ़िरत के रास्ते पर क्या मिला
दुनिय:-ए-फ़ानी ! बताएं क्या तुम्हें
तूर पर हमसे ख़ुदा ने क्या कहा
राज़ रूहानी बताएं क्या तुम्हें ?
हम पहाड़ों की चट्टानों पर पले
कस्रे-सुल्तानी ! बताएं क्या तुम्हें !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
संदर्भ: मक़्ता (अंतिम शे'र) उर्दू के अज़ीम शायर जनाब अल्लामा इक़बाल के एहतराम (सम्मान) में
शब्दार्थ: मानी: अर्थ; कामयाबी: सफलता; पशेमानी: लज्जा का बोध; क़ुर्बानी: बलिदान; मग़फ़िरत: मोक्ष; दुनिय:-ए-फ़ानी: मर्त्य-लोक; तूर: मिस्र के साम क्षेत्र में एक पर्वत, मिथक के अनुसार हज़रत मूसा अ. स. इसकी चोटी पर चढ़ कर ख़ुदा से बात करते थे; राज़ रूहानी: आध्यात्मिक रहस्य; कस्रे-सुल्तानी: राजमहल।
राह अनजानी बताएं क्या तुम्हें
एक ग़म हो तो तुम्हें तकलीफ़ दें
हर परेशानी बताएं क्या तुम्हें
कामयाबी के लिए कितना गिरे
ये पशेमानी बताएं क्या तुम्हें
शाह हमसे मांगता है किसलिए
रोज़ क़ुर्बानी बताएं क्या तुम्हें
मग़फ़िरत के रास्ते पर क्या मिला
दुनिय:-ए-फ़ानी ! बताएं क्या तुम्हें
तूर पर हमसे ख़ुदा ने क्या कहा
राज़ रूहानी बताएं क्या तुम्हें ?
हम पहाड़ों की चट्टानों पर पले
कस्रे-सुल्तानी ! बताएं क्या तुम्हें !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
संदर्भ: मक़्ता (अंतिम शे'र) उर्दू के अज़ीम शायर जनाब अल्लामा इक़बाल के एहतराम (सम्मान) में
शब्दार्थ: मानी: अर्थ; कामयाबी: सफलता; पशेमानी: लज्जा का बोध; क़ुर्बानी: बलिदान; मग़फ़िरत: मोक्ष; दुनिय:-ए-फ़ानी: मर्त्य-लोक; तूर: मिस्र के साम क्षेत्र में एक पर्वत, मिथक के अनुसार हज़रत मूसा अ. स. इसकी चोटी पर चढ़ कर ख़ुदा से बात करते थे; राज़ रूहानी: आध्यात्मिक रहस्य; कस्रे-सुल्तानी: राजमहल।