दोस्त को जब ग़लत कहा जाए
हाथ सीने पे रख लिया जाए
जब हमारी वफ़ाएं भी कम हों
दोस्त को क्यूं बुरा कहा जाए
दोस्ती तर्क हो उसके पहले
दिल से कुछ मश् वरा लिया जाए
दोस्त जब दुश्मनी पे आ जाएं
आईना साथ में रखा जाए
दोस्ती बार जब लगे दिल को
सिलसिला फिर नया किया जाए
फ़र्क़ जब दोस्ती में आता हो
क्यूं न खुल के कहा सुना जाए
भीड़ में दोस्त मुद्दआ जब हो
सोच कर तज़्किरा किया जाए
क्या ये: लाज़िम नहीं हसीनों को
दोस्त का दिल भी रख लिया जाए ?!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: वफ़ाएं: निष्ठाएं; तर्क: टूटना; मश् वरा: परामर्श; सिलसिला: क्रम, आरंभ; मुद्दआ: विषय; तज़्किरा: चर्चा, उल्लेख।
हाथ सीने पे रख लिया जाए
जब हमारी वफ़ाएं भी कम हों
दोस्त को क्यूं बुरा कहा जाए
दोस्ती तर्क हो उसके पहले
दिल से कुछ मश् वरा लिया जाए
दोस्त जब दुश्मनी पे आ जाएं
आईना साथ में रखा जाए
दोस्ती बार जब लगे दिल को
सिलसिला फिर नया किया जाए
फ़र्क़ जब दोस्ती में आता हो
क्यूं न खुल के कहा सुना जाए
भीड़ में दोस्त मुद्दआ जब हो
सोच कर तज़्किरा किया जाए
क्या ये: लाज़िम नहीं हसीनों को
दोस्त का दिल भी रख लिया जाए ?!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: वफ़ाएं: निष्ठाएं; तर्क: टूटना; मश् वरा: परामर्श; सिलसिला: क्रम, आरंभ; मुद्दआ: विषय; तज़्किरा: चर्चा, उल्लेख।