ख़्वाब पर ऐतबार कर लीजे
ज़िंदगी को बहार कर लीजे
ख़ुदकुशी का गुनाह मत कीजे
इश्क़ का रोज़गार कर लीजे
दर्द को दीजिए जगह दिल में
शाइ'री को क़रार कर लीजे
हम भी आख़िर ख़ुदा के बंदे हैं
दोस्तों में शुमार कर लीजे
रफ़्ता-रफ़्ता पिघल रहे हैं वो:
और कुछ इंतज़ार कर लीजे
है सियासत पसंद तो पहले
रूह को दाग़दार कर लीजे
छू न पाएंगे अज़्मते-ग़ालिब
आप कोशिश हज़ार कर लीजे !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ऐतबार: विश्वास; ख़ुदकुशी: आत्म-हत्या; गुनाह: पाप, अपराध; क़रार: सांत्वना का साधन; बंदे: अनुयायी, मानने वाले;
शुमार: सम्मिलित; रफ़्ता-रफ़्ता: धीमे-धीमे; सियासत: राजनीति, छल-कपट; रूह: आत्मा; दाग़दार: कलंकित;
अज़्मते-ग़ालिब: महान शायर जनाब मिर्ज़ा ग़ालिब की प्रतिष्ठा, उच्च स्थान ।
ज़िंदगी को बहार कर लीजे
ख़ुदकुशी का गुनाह मत कीजे
इश्क़ का रोज़गार कर लीजे
दर्द को दीजिए जगह दिल में
शाइ'री को क़रार कर लीजे
हम भी आख़िर ख़ुदा के बंदे हैं
दोस्तों में शुमार कर लीजे
रफ़्ता-रफ़्ता पिघल रहे हैं वो:
और कुछ इंतज़ार कर लीजे
है सियासत पसंद तो पहले
रूह को दाग़दार कर लीजे
छू न पाएंगे अज़्मते-ग़ालिब
आप कोशिश हज़ार कर लीजे !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ऐतबार: विश्वास; ख़ुदकुशी: आत्म-हत्या; गुनाह: पाप, अपराध; क़रार: सांत्वना का साधन; बंदे: अनुयायी, मानने वाले;
शुमार: सम्मिलित; रफ़्ता-रफ़्ता: धीमे-धीमे; सियासत: राजनीति, छल-कपट; रूह: आत्मा; दाग़दार: कलंकित;
अज़्मते-ग़ालिब: महान शायर जनाब मिर्ज़ा ग़ालिब की प्रतिष्ठा, उच्च स्थान ।