उम्मीद-ए-ज़िन्दगी मुझको बुलाती है
मेरी आवारगी मुझको बुलाती है
रग़-ए-दिल में अजब-सी सनसनी है
तेरी दीवानगी मुझको बुलाती है
शराब-ए-इश्क़ ले के हूँ सफ़र पे
किसी की तिश्नगी मुझको बुलाती है
बहुत-कुछ खो दिया है रौशनी में
ख़ला-ए-तीरगी मुझको बुलाती है
किसी ने फिर अज़ां दी है ज़मीं से
किसी की बंदगी मुझको बुलाती है।
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तिश्नगी: प्यास; ख़ला-ए-तीरगी : अंधकार का एकांत; बंदगी: भक्ति।
मेरी आवारगी मुझको बुलाती है
रग़-ए-दिल में अजब-सी सनसनी है
तेरी दीवानगी मुझको बुलाती है
शराब-ए-इश्क़ ले के हूँ सफ़र पे
किसी की तिश्नगी मुझको बुलाती है
बहुत-कुछ खो दिया है रौशनी में
ख़ला-ए-तीरगी मुझको बुलाती है
किसी ने फिर अज़ां दी है ज़मीं से
किसी की बंदगी मुझको बुलाती है।
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तिश्नगी: प्यास; ख़ला-ए-तीरगी : अंधकार का एकांत; बंदगी: भक्ति।