सब जिसे मौत की ख़बर समझे
वो: उसे ख़ुम्र का असर समझे
ज़ीस्त उसको बहुत सताती है
जो न क़िस्स:-ए-मुख़्तसर समझे
लोग जो चाहते समझ लेते
आप क्यूं हमको दर ब दर समझे
वो: शरारा जला गया जी को
हम जिसे इश्क़ की नज़र समझे
शैख़-सा बदनसीब कोई नहीं
जो भरे जाम को ज़हर समझे
शाह का हर्फ़ हर्फ़ झूठा था
लोग उम्मीद की सहर समझे
राज़ समझे वही ख़ुदाई का
जो खुले चश्म देख कर समझे
आख़िरश वो: सराब ही निकला
लोग नादां जिसे बहर समझे
दिल उन्हें भी दुआएं ही देगा
जो मेरा ग़म न उम्र भर समझे !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : ख़ुम्र : मदिरा ; ज़ीस्त : जीवन ; क़िस्स:-ए-मुख़्तसर : छोटी-सी कहानी, सार-संक्षेप ; दर ब दर : गृह-विहीन ; शरारा : अग्नि-पुंज, लपट ; जी : मन ; शैख़ : धर्म-भीरु ; जाम : मदिरा-पात्र ; हर्फ़ : अक्षर ; सहर : प्रातः, उष:काल ; राज़ : रहस्य ; ख़ुदाई : संसार, सृष्टि ; खुले चश्म : खुले नयन, बुद्धिमानी से ; आख़िरश :अंततः ; सराब : मृग जल, धूप में दिखाई देने वाला पानी का भ्रम ; नादां : अबोध, अ-ज्ञानी ; दुआएं : शुभकामनाएं ।
वो: उसे ख़ुम्र का असर समझे
ज़ीस्त उसको बहुत सताती है
जो न क़िस्स:-ए-मुख़्तसर समझे
लोग जो चाहते समझ लेते
आप क्यूं हमको दर ब दर समझे
वो: शरारा जला गया जी को
हम जिसे इश्क़ की नज़र समझे
शैख़-सा बदनसीब कोई नहीं
जो भरे जाम को ज़हर समझे
शाह का हर्फ़ हर्फ़ झूठा था
लोग उम्मीद की सहर समझे
राज़ समझे वही ख़ुदाई का
जो खुले चश्म देख कर समझे
आख़िरश वो: सराब ही निकला
लोग नादां जिसे बहर समझे
दिल उन्हें भी दुआएं ही देगा
जो मेरा ग़म न उम्र भर समझे !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : ख़ुम्र : मदिरा ; ज़ीस्त : जीवन ; क़िस्स:-ए-मुख़्तसर : छोटी-सी कहानी, सार-संक्षेप ; दर ब दर : गृह-विहीन ; शरारा : अग्नि-पुंज, लपट ; जी : मन ; शैख़ : धर्म-भीरु ; जाम : मदिरा-पात्र ; हर्फ़ : अक्षर ; सहर : प्रातः, उष:काल ; राज़ : रहस्य ; ख़ुदाई : संसार, सृष्टि ; खुले चश्म : खुले नयन, बुद्धिमानी से ; आख़िरश :अंततः ; सराब : मृग जल, धूप में दिखाई देने वाला पानी का भ्रम ; नादां : अबोध, अ-ज्ञानी ; दुआएं : शुभकामनाएं ।