लोग अच्छी ख़बर से डरते हैं
क़िस्मतों के क़हर से डरते हैं
दुश्मनों से नहीं हमें पर्दा :
दोस्तों की नज़र से डरते हैं
आप छू दें तो सांप मर जाए
आप किसके ज़हर से डरते हैं
एक-दो तो ज़रूर हैवां हैं
आप सारे शहर से डरते हैं
नाम आतिश-फ़िशां बताते हैं
और दाग़े-शरर से डरते हैं
लोग तो बद्दुआ से डरते हैं
हम दुआ-ए-असर से डरते हैं
नूर के ख़्वाब देखने वाले
दिल ही दिल में सहर से डरते हैं !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़हर: प्रकोप; हैवां; हैवान, पशु-स्वभाव वाले; आतिश-फ़िशां: ज्वालामुखी; दाग़े-शरर: चिंगारी का दाग़;
बद्दुआ: श्राप; दुआ-ए-असर: प्रभावी शुभकामना; सहर: उष:काल ।
क़िस्मतों के क़हर से डरते हैं
दुश्मनों से नहीं हमें पर्दा :
दोस्तों की नज़र से डरते हैं
आप छू दें तो सांप मर जाए
आप किसके ज़हर से डरते हैं
एक-दो तो ज़रूर हैवां हैं
आप सारे शहर से डरते हैं
नाम आतिश-फ़िशां बताते हैं
और दाग़े-शरर से डरते हैं
लोग तो बद्दुआ से डरते हैं
हम दुआ-ए-असर से डरते हैं
नूर के ख़्वाब देखने वाले
दिल ही दिल में सहर से डरते हैं !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़हर: प्रकोप; हैवां; हैवान, पशु-स्वभाव वाले; आतिश-फ़िशां: ज्वालामुखी; दाग़े-शरर: चिंगारी का दाग़;
बद्दुआ: श्राप; दुआ-ए-असर: प्रभावी शुभकामना; सहर: उष:काल ।