दोस्त समझे न आशना समझे
आप हमको न जाने क्या समझे
मुफ़लिसी का क़ुसूर है सारा
लोग नाहक़ हमें बुरा समझे
वक़्त पड़ते ही चल दिए सारे
दोस्तों को मेरे ख़ुदा समझे
तिफ़्ल वो: दूर तलक जाता है
जो नसीहत को भी दुआ समझे
शाह बदकार है फ़राउन है
वक़्त देखे न मुद्द'आ समझे
क्या कहें उस निज़ामे-शाही को
आप-हम को महज़ गदा समझे
ये: ख़ुदा के ख़िलाफ़ साज़िश है
कोई हमको अगर ख़ुदा समझे !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आशना: साथी, प्रेमी; मुफ़लिसी: निर्धनता; क़ुसूर: दोष; नाहक: अकारण, निरर्थक; तिफ़्ल: बच्चा; नसीहत: समझाइश;
दुआ: शुभकामना; बदकार: बुरे काम करने वाला; फ़राउन: मृत्यु के बाद जीवित होने में विश्वास करने वाले मिस्र के निर्दयी शासक,
जिनकी क़ब्र में उनके सेवकों को उनके शव के साथ जीवित दफ़ना दिया जाता था; महज़: मात्र; गदा: भिखारी।
आप हमको न जाने क्या समझे
मुफ़लिसी का क़ुसूर है सारा
लोग नाहक़ हमें बुरा समझे
वक़्त पड़ते ही चल दिए सारे
दोस्तों को मेरे ख़ुदा समझे
तिफ़्ल वो: दूर तलक जाता है
जो नसीहत को भी दुआ समझे
शाह बदकार है फ़राउन है
वक़्त देखे न मुद्द'आ समझे
क्या कहें उस निज़ामे-शाही को
आप-हम को महज़ गदा समझे
ये: ख़ुदा के ख़िलाफ़ साज़िश है
कोई हमको अगर ख़ुदा समझे !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आशना: साथी, प्रेमी; मुफ़लिसी: निर्धनता; क़ुसूर: दोष; नाहक: अकारण, निरर्थक; तिफ़्ल: बच्चा; नसीहत: समझाइश;
दुआ: शुभकामना; बदकार: बुरे काम करने वाला; फ़राउन: मृत्यु के बाद जीवित होने में विश्वास करने वाले मिस्र के निर्दयी शासक,
जिनकी क़ब्र में उनके सेवकों को उनके शव के साथ जीवित दफ़ना दिया जाता था; महज़: मात्र; गदा: भिखारी।