काश ! बेताबियां नहीं होतीं
अपनी बदनामियां नहीं होतीं
तरबियत ने अदब सिखाया है
हमसे ग़ुस्ताख़ियां नहीं होतीं
हम सियासत अगर किया करते
रोज़ नाकामियां नहीं होतीं
सब्र करते ज़रा निगाहों का
लाख रुस्वाइयां नहीं होतीं
मैकशी बेबसी बढ़ाती है
दूर तन्हाइयां नहीं होतीं
शायरी रोज़गार हो रहती
तो ये: मंहगाइयां नहीं होतीं
तू हमारा ख़ुदा हुआ होता
इतनी दुश् वारियां नहीं होतीं!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेताबियां: आतुरता(बहुव.); तरबियत: पालन-पोषण, संस्कार; ग़ुस्ताख़ियां: उद्दण्डताएं; रुस्वाइयां: अपमान (बहुव.);
मैकशी: मदिरापान; बेबसी: विवशता; तनहाइयां: अकेलापन; दुश् वारियां: कठिनाइयां।
अपनी बदनामियां नहीं होतीं
तरबियत ने अदब सिखाया है
हमसे ग़ुस्ताख़ियां नहीं होतीं
हम सियासत अगर किया करते
रोज़ नाकामियां नहीं होतीं
सब्र करते ज़रा निगाहों का
लाख रुस्वाइयां नहीं होतीं
मैकशी बेबसी बढ़ाती है
दूर तन्हाइयां नहीं होतीं
शायरी रोज़गार हो रहती
तो ये: मंहगाइयां नहीं होतीं
तू हमारा ख़ुदा हुआ होता
इतनी दुश् वारियां नहीं होतीं!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेताबियां: आतुरता(बहुव.); तरबियत: पालन-पोषण, संस्कार; ग़ुस्ताख़ियां: उद्दण्डताएं; रुस्वाइयां: अपमान (बहुव.);
मैकशी: मदिरापान; बेबसी: विवशता; तनहाइयां: अकेलापन; दुश् वारियां: कठिनाइयां।