रोज़ आते हो मेरे घर नए किरदार के साथ
क्या ये: खिलवाड़ नहीं है दिल-ए-बीमार के साथ
साथ देना है अगर मेरा तो ज़रा आहिस्ता चल
मेरा मीज़ान तो बैठे तेरी रफ़्तार के साथ
तुमको हक़ है के: लौटा दो उसे न कह के
पर सलीक़े से पेश आओ तलबगार के साथ
जो भी सस्ता हो वही ला के पका लेते हैं
जंग ज़ारी है ख़रीदार की बाज़ार के साथ
तू ना शर्मिंदा है ना आइन्दा भी कभी होगा
लोग सर फोड़ रहे हैं तेरी दीवार के साथ
तख़्त-ए-हिन्दोस्तां पे क़ाबिज़ है बुत मिट्टी का
रिश्ते मज़बूत कर रहा है गुनहगार के साथ
तू उतर तो सही मैदान में फ़ौजें ले के अपनी
हम भी मुस्तैद हैं ईमान की तलवार के साथ
कितनी इज़्ज़त बढ़ा रहा है आज तू बुज़ुर्गों की
हर कोई खेल रहा है तेरी दस्तार के साथ !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
क्या ये: खिलवाड़ नहीं है दिल-ए-बीमार के साथ
साथ देना है अगर मेरा तो ज़रा आहिस्ता चल
मेरा मीज़ान तो बैठे तेरी रफ़्तार के साथ
तुमको हक़ है के: लौटा दो उसे न कह के
पर सलीक़े से पेश आओ तलबगार के साथ
जो भी सस्ता हो वही ला के पका लेते हैं
जंग ज़ारी है ख़रीदार की बाज़ार के साथ
तू ना शर्मिंदा है ना आइन्दा भी कभी होगा
लोग सर फोड़ रहे हैं तेरी दीवार के साथ
तख़्त-ए-हिन्दोस्तां पे क़ाबिज़ है बुत मिट्टी का
रिश्ते मज़बूत कर रहा है गुनहगार के साथ
तू उतर तो सही मैदान में फ़ौजें ले के अपनी
हम भी मुस्तैद हैं ईमान की तलवार के साथ
कितनी इज़्ज़त बढ़ा रहा है आज तू बुज़ुर्गों की
हर कोई खेल रहा है तेरी दस्तार के साथ !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल