पं . रविशंकर के लिए, जो आज इस दुनिया-ए-फ़ानी को अलविदा कह गए
उदास हैं के: राग मारवा बजाये कोई
हमारे ग़म को ग़म-ए-दिलरुबा बनाये कोई ......
-सुरेश स्वप्निल
उदास हैं के: राग मारवा बजाये कोई
हमारे ग़म को ग़म-ए-दिलरुबा बनाये कोई ......
-सुरेश स्वप्निल