ज़माने ने बहुत दिन आपका हुड़दंग देखा है
मगर क्या आपने दम भर हमारा रंग देखा है
हमारी तेग़ टूटी है न दे इस बात पर ताना
तेरी सरकार के फ़ौलाद ने भी ज़ंग देखा है
बड़ा कमज़ोर पाया है कभी भी टूट जाएगा
हिला कर ख़ूब हमने आपका औरंग देखा है
निगाहों के हज़ारों ख़ूबसूरत रंग होते हैं
पलट कर आपने दिल का कभी फ़रहंग देखा है
कहां तक लोग भूलेंगे हमारे उन्स के क़िस्से
अज़ल से आपको सबने हमारे संग देखा है
हमारी दावतों में सिर्फ़ अह् ले नूर आते हैं
अंधेरों ने हमारा हाथ हरदम तंग देखा है
बहुत है, आपका इस दौर में भी होश क़ायम है
नए हालात पर हमने ख़ुदा को दंग देखा है !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ज़माने: संसार;दम : क्षण, पल; रंग : तेज; तेग़: तलवार; फ़ौलाद : इस्पात, शक्ति; ज़ंग : मंडूर, क्षरण; पाया: पांव, आधार; औरंग : राजासन; फ़रहंग : समांतर शब्द कोश; उन्स : स्नेह, प्रेम; क़िस्से : कथाएं; अज़ल : अनादि काल; दावतों : स्नेह भोजों; अह् ले नूर: उज्ज्वल हृदय वाले; तंग: खिंचा हुआ, बंद; दौर:कालखंड; क़ायम: शेष;हालात:परिस्थितियों; दंग : चकित ।
मगर क्या आपने दम भर हमारा रंग देखा है
हमारी तेग़ टूटी है न दे इस बात पर ताना
तेरी सरकार के फ़ौलाद ने भी ज़ंग देखा है
बड़ा कमज़ोर पाया है कभी भी टूट जाएगा
हिला कर ख़ूब हमने आपका औरंग देखा है
निगाहों के हज़ारों ख़ूबसूरत रंग होते हैं
पलट कर आपने दिल का कभी फ़रहंग देखा है
कहां तक लोग भूलेंगे हमारे उन्स के क़िस्से
अज़ल से आपको सबने हमारे संग देखा है
हमारी दावतों में सिर्फ़ अह् ले नूर आते हैं
अंधेरों ने हमारा हाथ हरदम तंग देखा है
बहुत है, आपका इस दौर में भी होश क़ायम है
नए हालात पर हमने ख़ुदा को दंग देखा है !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ज़माने: संसार;दम : क्षण, पल; रंग : तेज; तेग़: तलवार; फ़ौलाद : इस्पात, शक्ति; ज़ंग : मंडूर, क्षरण; पाया: पांव, आधार; औरंग : राजासन; फ़रहंग : समांतर शब्द कोश; उन्स : स्नेह, प्रेम; क़िस्से : कथाएं; अज़ल : अनादि काल; दावतों : स्नेह भोजों; अह् ले नूर: उज्ज्वल हृदय वाले; तंग: खिंचा हुआ, बंद; दौर:कालखंड; क़ायम: शेष;हालात:परिस्थितियों; दंग : चकित ।