कुछ भी कह बेवफ़ा नहीं हूँ मैं
तेरी तरह ख़ुदा नहीं हूँ मैं
मेरी अपनी भी एक हस्ती है
वक़्त का सानिया नहीं हूँ मैं
नक्शे-पा ख़ुद ही मिटा देता हूँ
भीड़ का रास्ता नहीं हूँ मैं
जी रहा हूँ तो अपनी शर्तों पे
आसमाँ से बंधा नहीं हूँ मैं
मुस्कुराना मेरी सिफ़अत में है
दर्द का फ़लसफ़ा नहीं हूँ मैं
अपनी आँखों में झाँक कर बतला
क्या तेरा आईना नहीं हूँ मैं
मुझको ज़ाया किया मेरे दिल ने
वरना बे - आसरा नहीं हूँ मैं !
( 2012 )
( 2012 )
- सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हस्ती: अस्मिता; सानिया: अंश-मात्र; नक्शे-पा: पद-चिह्न; आसमाँ: नियति; सिफ़अत: प्रकृति; ज़ाया:व्यर्थ।
शब्दार्थ: हस्ती: अस्मिता; सानिया: अंश-मात्र; नक्शे-पा: पद-चिह्न; आसमाँ: नियति; सिफ़अत: प्रकृति; ज़ाया:व्यर्थ।