ऐसा करम हुआ के: मेरे दिन बदल गए
किसकी लगी दुआ के: मेरे दिन बदल गए
दुश्मन ने मेरा नाम ज़ेहन से मिटा दिया
कैसी हुई ख़ता के: मेरे दिन बदल गए
बदलीं ज़रूर कुछ तो ज़माने की निगाहें
जिस दिन अयां हुआ के: मेरे दिन बदल गए
हिर्सो-हवस हो के: तेरा अंदाज़े-गुफ़्तगू
सब कुछ बदल गया के: मेरे दिन बदल गए
अब भी वही हूं मैं तेरे दर पर पड़ा हुआ
किस बात की अना के: मेरे दिन बदल गए
मोहसिन कहें हबीब कहें या ख़ुदा कहें
वो: दिल में आ बसा के: मेरे दिन बदल गए
उस नूरे-इलाही में अक़ीदत की बात है
ज़ानू से सर लगा के: मेरे दिन बदल गए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: करम: कृपा; दुआ: शुभकामना; ज़ेहन: मनोमस्तिष्क; ख़ता: अपराध, दोष; अयां: स्पष्ट; हिर्सो-हवस: लोभ-लालच;
अंदाज़े-गुफ़्तगू: बातचीत की शैली; अना: अहंकार; मोहसिन: अनुग्रह करने वाला; हबीब: प्रेमी, शुभचिंतक;
नूरे-इलाही: ईश्वरीय प्रकाश, ईश्वर का आभा-मंडल; अक़ीदत: आस्था; ज़ानू: घुटना।
किसकी लगी दुआ के: मेरे दिन बदल गए
दुश्मन ने मेरा नाम ज़ेहन से मिटा दिया
कैसी हुई ख़ता के: मेरे दिन बदल गए
बदलीं ज़रूर कुछ तो ज़माने की निगाहें
जिस दिन अयां हुआ के: मेरे दिन बदल गए
हिर्सो-हवस हो के: तेरा अंदाज़े-गुफ़्तगू
सब कुछ बदल गया के: मेरे दिन बदल गए
अब भी वही हूं मैं तेरे दर पर पड़ा हुआ
किस बात की अना के: मेरे दिन बदल गए
मोहसिन कहें हबीब कहें या ख़ुदा कहें
वो: दिल में आ बसा के: मेरे दिन बदल गए
उस नूरे-इलाही में अक़ीदत की बात है
ज़ानू से सर लगा के: मेरे दिन बदल गए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: करम: कृपा; दुआ: शुभकामना; ज़ेहन: मनोमस्तिष्क; ख़ता: अपराध, दोष; अयां: स्पष्ट; हिर्सो-हवस: लोभ-लालच;
अंदाज़े-गुफ़्तगू: बातचीत की शैली; अना: अहंकार; मोहसिन: अनुग्रह करने वाला; हबीब: प्रेमी, शुभचिंतक;
नूरे-इलाही: ईश्वरीय प्रकाश, ईश्वर का आभा-मंडल; अक़ीदत: आस्था; ज़ानू: घुटना।