देखो न हमें क़ातिल की तरह
डर जाएं क्या बुज़दिल की तरह
वो: ख़्वाब में अक्सर आते हैं
ढूँढा था जिन्हें मंज़िल की तरह
दिल की क़ीमत ईमान है क्या
बहको न किसी ग़ाफ़िल की तरह
तूफ़ान हज़ारों हार गए
मौजूद हैं हम साहिल की तरह
क्या ख़ाक मुहब्बत की तुमने
तड़पा न किए बिस्मिल की तरह
कैसे जाने दें तुम ही कहो
आए हो दुआ-ए-दिल की तरह
रखते हैं ख़ुदी कुछ तो हम भी
तोड़ो न दिल-ए-साइल की तरह !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़ातिल: वधिक; बुज़दिल: कायर; ईमान: आस्था; ग़ाफ़िल: भ्रमित; साहिल: किनारा; बिस्मिल: घायल;
दुआ-ए-दिल: हृदय की प्रार्थना; ख़ुदी: स्वाभिमान; दिल-ए-साइल: याचक का हृदय।
डर जाएं क्या बुज़दिल की तरह
वो: ख़्वाब में अक्सर आते हैं
ढूँढा था जिन्हें मंज़िल की तरह
दिल की क़ीमत ईमान है क्या
बहको न किसी ग़ाफ़िल की तरह
तूफ़ान हज़ारों हार गए
मौजूद हैं हम साहिल की तरह
क्या ख़ाक मुहब्बत की तुमने
तड़पा न किए बिस्मिल की तरह
कैसे जाने दें तुम ही कहो
आए हो दुआ-ए-दिल की तरह
रखते हैं ख़ुदी कुछ तो हम भी
तोड़ो न दिल-ए-साइल की तरह !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़ातिल: वधिक; बुज़दिल: कायर; ईमान: आस्था; ग़ाफ़िल: भ्रमित; साहिल: किनारा; बिस्मिल: घायल;
दुआ-ए-दिल: हृदय की प्रार्थना; ख़ुदी: स्वाभिमान; दिल-ए-साइल: याचक का हृदय।