रुख़ पे रौशन जलाल किसका है
ये: मुबारक ख़याल किसका है
कर गया रूह को मुअत्तर जो
वो: गुलाबी रुमाल किसका है
है ज़मीं पर बहार फागुन की
आस्मां पर गुलाल किसका है
दोस्तों को दुआ न दे पाए
इस क़दर तंग हाल किसका है
कल तलक थी शबाब पर महफ़िल
आज घर में मलाल किसका है
आशिक़ी में उरूज है दिल का
आजिज़ी में जवाल किसका है ?
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रुख़ :मुखाकृति; रौशन: उज्ज्वल, प्रकाशित; जलाल : तेज, प्रताप; मुबारक : शुभ, प्रसन्नता दायक; रूह : आत्मा; मुअत्तर: सुगंधित; शबाब :यौवन; महफ़िल: सभा, गोष्ठी; मलाल : खेद, अवसाद; नसीब वाले : भाग्यवान ; बदल: परिवर्त्तन; कमाल :चमत्कार; आशिक़ी :आवेगपूर्ण प्रेम; उरूज़ : उत्कर्ष; आजिज़ी :असहायता, भावनात्मक पतन।
ये: मुबारक ख़याल किसका है
कर गया रूह को मुअत्तर जो
वो: गुलाबी रुमाल किसका है
है ज़मीं पर बहार फागुन की
आस्मां पर गुलाल किसका है
दोस्तों को दुआ न दे पाए
इस क़दर तंग हाल किसका है
कल तलक थी शबाब पर महफ़िल
आज घर में मलाल किसका है
मुश्किलों में नसीबवाले हैं
इस बदल में कमाल किसका हैआशिक़ी में उरूज है दिल का
आजिज़ी में जवाल किसका है ?
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रुख़ :मुखाकृति; रौशन: उज्ज्वल, प्रकाशित; जलाल : तेज, प्रताप; मुबारक : शुभ, प्रसन्नता दायक; रूह : आत्मा; मुअत्तर: सुगंधित; शबाब :यौवन; महफ़िल: सभा, गोष्ठी; मलाल : खेद, अवसाद; नसीब वाले : भाग्यवान ; बदल: परिवर्त्तन; कमाल :चमत्कार; आशिक़ी :आवेगपूर्ण प्रेम; उरूज़ : उत्कर्ष; आजिज़ी :असहायता, भावनात्मक पतन।