दिल को सुजूदे-शौक़ का चस्का नहीं लगा
दुनिया को ये: ख़याल भी अच्छा नहीं लगा
क्या रंज कीजिए कि कोई बेवफ़ा हुआ
दचका लगा ज़रूर प' ज़्यादा नहीं लगा
कहता रहा क़रीब का रिश्ता है आपसे
लेकिन हमें वो: शख़्स शनासा नहीं लगा
उसके सिपाहियों ने किया क़त्ले-आम जब
दिल में उसे दरेग़ ज़रा-सा नहीं लगा
जम्हूर की दुआ से बादशाह क्या हुए
सौ क़त्ल भी किए तो मुक़दमा नहीं लगा
है एहतरामे-हुस्न हमारे मिजाज़ में
यूं दिल प' कभी दाग़े-तमन्ना नहीं लगा
कांधे पे लाद लाए हमें अर्श के जवां
हम ख़ुश हैं इस सफ़र में किराया नहीं लगा !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सुजूदे-शौक़ : स्वेच्छा से/रुचि पूर्वक दंडवत करना ; चस्का : अभिवृत्ति ; रंज : खेद ; दचका : आघात ; शख़्स : व्यक्ति, शनासा: परिचित; क़त्ले-आम : व्यापक नरसंहार ; दरेग़ : दया ; जम्हूर : लोकतंत्र ; एहतरामे-हुस्न : सौंदर्य का सम्मान ; मिजाज़ : स्वभाव ; दाग़े-तमन्ना : उत्कट इच्छा का दोष ; अर्श के जवां : अर्श=आकाश, जवां : युवा, यहां आशय मृत्युदूत से ।
दुनिया को ये: ख़याल भी अच्छा नहीं लगा
क्या रंज कीजिए कि कोई बेवफ़ा हुआ
दचका लगा ज़रूर प' ज़्यादा नहीं लगा
कहता रहा क़रीब का रिश्ता है आपसे
लेकिन हमें वो: शख़्स शनासा नहीं लगा
उसके सिपाहियों ने किया क़त्ले-आम जब
दिल में उसे दरेग़ ज़रा-सा नहीं लगा
जम्हूर की दुआ से बादशाह क्या हुए
सौ क़त्ल भी किए तो मुक़दमा नहीं लगा
है एहतरामे-हुस्न हमारे मिजाज़ में
यूं दिल प' कभी दाग़े-तमन्ना नहीं लगा
कांधे पे लाद लाए हमें अर्श के जवां
हम ख़ुश हैं इस सफ़र में किराया नहीं लगा !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सुजूदे-शौक़ : स्वेच्छा से/रुचि पूर्वक दंडवत करना ; चस्का : अभिवृत्ति ; रंज : खेद ; दचका : आघात ; शख़्स : व्यक्ति, शनासा: परिचित; क़त्ले-आम : व्यापक नरसंहार ; दरेग़ : दया ; जम्हूर : लोकतंत्र ; एहतरामे-हुस्न : सौंदर्य का सम्मान ; मिजाज़ : स्वभाव ; दाग़े-तमन्ना : उत्कट इच्छा का दोष ; अर्श के जवां : अर्श=आकाश, जवां : युवा, यहां आशय मृत्युदूत से ।