इक अधूरा बयान बाक़ी है
और मुंह में ज़ुबान बाक़ी है
सर पे छत की हमें तलाश नहीं
जब तलक आसमान बाक़ी है
ज़लज़लों ने शहर मिटा डाला
सिर्फ़ मेरा मकान बाक़ी है
रिज़्क़ की फ़िक़्र न कर ऐ बंदे
ये: दिल -ए- मेज़बान बाक़ी है
असलहे ज़ालिमों के बाक़ी हैं
हिम्मत -ए- नातवान बाक़ी है
यूं ज़मीं -ए- ख़ुदा पे क़ाबिज़ हैं
सौ बरस का लगान बाक़ी है
दुश्मन-ए-इश्क़ आ डटें फिर से
जिस्मे-आशिक़ में जान बाक़ी है
यूं के: दुनिया से उठ गए ग़ालिब
उनकी हस्ती की शान बाक़ी है
फिर नई मंज़िलों को चल देंगे
बस ज़रा-सी थकान बाक़ी है
दिल धड़कने को अब नहीं राज़ी
हौसलों की उड़ान बाक़ी है
क्या हुआ तुम अगर सनम न हुए
अब भी सारा जहान बाक़ी है
ले गए दिल हरीफ़ सदक़े में
नाम-भर को निशान बाक़ी है
ख़ुदकुशी में मज़ा नहीं आया
और कुछ इम्तेहान बाक़ी है ? !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ज़लज़ला: भूकंप, प्राकृतिक प्रकोप; रिज़्क़: दो समय का भोजन; दिल -ए- मेज़बान: आतिथ्य-कर्त्ता का हृदय; असलहा: अस्त्र-शस्त्र; ज़ालिम: अत्याचारी; हिम्मत -ए- नातवान: निर्बल का साहस; ज़मीं -ए- ख़ुदा: ईश्वर की भूमि, प्रकृति-प्रदत्त भूमि; क़ाबिज़: अधिकार जमाए; दुश्मन-ए-इश्क़: प्रेम के शत्रु; जिस्मे-आशिक़:प्रेमी का शरीर; ग़ालिब: 19वीं शताब्दी के महान उर्दू शायर; हस्ती: व्यक्तित्व एवं कृतित्व; हरीफ़: शत्रु (प्रेमी); सदक़ा: न्यौछावर; ख़ुदकुशी: आत्महत्या।
और मुंह में ज़ुबान बाक़ी है
सर पे छत की हमें तलाश नहीं
जब तलक आसमान बाक़ी है
ज़लज़लों ने शहर मिटा डाला
सिर्फ़ मेरा मकान बाक़ी है
रिज़्क़ की फ़िक़्र न कर ऐ बंदे
ये: दिल -ए- मेज़बान बाक़ी है
असलहे ज़ालिमों के बाक़ी हैं
हिम्मत -ए- नातवान बाक़ी है
यूं ज़मीं -ए- ख़ुदा पे क़ाबिज़ हैं
सौ बरस का लगान बाक़ी है
दुश्मन-ए-इश्क़ आ डटें फिर से
जिस्मे-आशिक़ में जान बाक़ी है
यूं के: दुनिया से उठ गए ग़ालिब
उनकी हस्ती की शान बाक़ी है
फिर नई मंज़िलों को चल देंगे
बस ज़रा-सी थकान बाक़ी है
दिल धड़कने को अब नहीं राज़ी
हौसलों की उड़ान बाक़ी है
क्या हुआ तुम अगर सनम न हुए
अब भी सारा जहान बाक़ी है
ले गए दिल हरीफ़ सदक़े में
नाम-भर को निशान बाक़ी है
ख़ुदकुशी में मज़ा नहीं आया
और कुछ इम्तेहान बाक़ी है ? !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ज़लज़ला: भूकंप, प्राकृतिक प्रकोप; रिज़्क़: दो समय का भोजन; दिल -ए- मेज़बान: आतिथ्य-कर्त्ता का हृदय; असलहा: अस्त्र-शस्त्र; ज़ालिम: अत्याचारी; हिम्मत -ए- नातवान: निर्बल का साहस; ज़मीं -ए- ख़ुदा: ईश्वर की भूमि, प्रकृति-प्रदत्त भूमि; क़ाबिज़: अधिकार जमाए; दुश्मन-ए-इश्क़: प्रेम के शत्रु; जिस्मे-आशिक़:प्रेमी का शरीर; ग़ालिब: 19वीं शताब्दी के महान उर्दू शायर; हस्ती: व्यक्तित्व एवं कृतित्व; हरीफ़: शत्रु (प्रेमी); सदक़ा: न्यौछावर; ख़ुदकुशी: आत्महत्या।