दर्द है कुछ अगर तो दवा लीजिए
जो न हो तो हमीं को बुला लीजिए
रूठ के हम भी आख़िर कहां जाएंगे
क्या बुरा है जो हमको मना लीजिए
बात-बेबात दिल जो धडकने लगे
नब्ज़ हमको किसी दिन दिखा लीजिए
आप को शैख़ किसने बुलाया यहां
मैकदा है मियां रास्ता लीजिए
सुबह की सैर में ढूंढते जाइए
दिल पडा है हमारा उठा लीजिए
अपने आमाल पे अब नज़र डालिए
रूह को साफ़-सुथरा बना लीजिए
ज़र्रे-ज़र्रे में हम ही नज़र आएंगे
हो सके तो निगाहें चुरा लीजिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शैख़: धर्म-भीरु, मैकदा: मदिरालय, आमाल: आचरण, ज़र्रे-ज़र्रे में: कण-कण में !
जो न हो तो हमीं को बुला लीजिए
रूठ के हम भी आख़िर कहां जाएंगे
क्या बुरा है जो हमको मना लीजिए
बात-बेबात दिल जो धडकने लगे
नब्ज़ हमको किसी दिन दिखा लीजिए
आप को शैख़ किसने बुलाया यहां
मैकदा है मियां रास्ता लीजिए
सुबह की सैर में ढूंढते जाइए
दिल पडा है हमारा उठा लीजिए
अपने आमाल पे अब नज़र डालिए
रूह को साफ़-सुथरा बना लीजिए
ज़र्रे-ज़र्रे में हम ही नज़र आएंगे
हो सके तो निगाहें चुरा लीजिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शैख़: धर्म-भीरु, मैकदा: मदिरालय, आमाल: आचरण, ज़र्रे-ज़र्रे में: कण-कण में !