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शनिवार, 25 मार्च 2017

ज़ीस्त का इंतज़ार...

शाह  पर  एतबार  किसको  है
ये:  दिमाग़ी  बुख़ार  किसको  है

हाकिमों  की  अदा  गवाही  है
हैसियत  का  ख़ुमार  किसको  है

ज़ार  सबको  थमा  गया  कासा
दिक़्क़ते-रोज़गार   किसको  है

थक  गए  जिस्म  .गुंच:-ओ-गुल  के
अब  उमीदे-बहार  किसको  है

हम  फ़क़ीरी  में  मस्त  हैं  अपनी
चाहते-इक़्तिदार  किसको  है

मौत  सफ़  में  लगा  गई  जबसे
ज़ीस्त  का  इंतज़ार  किसको  है

देख  लेंगे  नमाज़  भी  पढ़  कर
आस्मां   पर  क़रार  किसको  है !

                                                                    (2017)

                                                             -सुरेश  स्वप्निल 

शब्दार्थः एतबार: विश्वास; हाकिमों: सत्ताधारियों, अधिकारियों; अदा: भंगिमा; गवाही: साक्ष्य; हैसियत: प्रास्थिति; ख़ुमार: मद; ज़ार: अत्याचारी शासक; कासा: भिक्षा-पात्र; दिक़्क़ते-रोज़गार: आजीविका की कठिनाई; जिस्म: शरीर; .गुंच:-ओ-गुल: कलियां और फूल; उमीदे-बहार: बसंत की आशा; फ़क़ीरी: सधुक्कड़ी, निर्धनता; चाहते-इक़्तिदार: सत्ता-प्राप्ति की इच्छा; सफ़: पंक्ति; ज़ीस्त: जीवन; क़रार: आश्वस्ति।