ख़ुल्द में किस पर भरोसा कीजिए
अजनबी है यह शह्र क्या कीजिए
इश्क़ है कोई ग़ुलामी तो नहीं
क्यूं हमें हर दिन सताया कीजिए
इश्क़ तोहफ़ा है ख़ुदा का ख़ल्क़ को
यह करम यूं ही न ज़ाया कीजिए
है हमारा दिल गुलाबों की तरह
रोज़ क़िस्मत को सराहा कीजिए
दिल गवाही दे इबादत की कहीं
शौक़ से सर को झुकाया कीजिए
आपकी ख़ू भी ख़ुदा से कम नहीं
दर्दमंदी से संवारा कीजिए
मान लेंगे आपको ही हम ख़ुदा
कोई तो लेकिन करिश्मा कीजिए
देखना है नूर का जल्वा अगर
तो हमें घर पर बुलाया कीजिए !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़ुल्द: स्वर्ग; तोहफ़ा: उपहार; ख़ल्क़: सृष्टि; करम: कृपा; ज़ाया: व्यर्थ; क़िस्मत: भाग्य; सराहा: प्रशंसित; गवाही: स्वीकृति; इबादत: प्रार्थना; ख़ू: व्यक्तित्व, विशिष्ट गुण; दर्दमंदी:सहृदयता, संवेदनशीलता; संवारा: सजाया; करिश्मा: चमत्कार; नूर का जल्वा : ईश्वरीय प्रकाश का दृश्य।
अजनबी है यह शह्र क्या कीजिए
इश्क़ है कोई ग़ुलामी तो नहीं
क्यूं हमें हर दिन सताया कीजिए
इश्क़ तोहफ़ा है ख़ुदा का ख़ल्क़ को
यह करम यूं ही न ज़ाया कीजिए
है हमारा दिल गुलाबों की तरह
रोज़ क़िस्मत को सराहा कीजिए
दिल गवाही दे इबादत की कहीं
शौक़ से सर को झुकाया कीजिए
आपकी ख़ू भी ख़ुदा से कम नहीं
दर्दमंदी से संवारा कीजिए
मान लेंगे आपको ही हम ख़ुदा
कोई तो लेकिन करिश्मा कीजिए
देखना है नूर का जल्वा अगर
तो हमें घर पर बुलाया कीजिए !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़ुल्द: स्वर्ग; तोहफ़ा: उपहार; ख़ल्क़: सृष्टि; करम: कृपा; ज़ाया: व्यर्थ; क़िस्मत: भाग्य; सराहा: प्रशंसित; गवाही: स्वीकृति; इबादत: प्रार्थना; ख़ू: व्यक्तित्व, विशिष्ट गुण; दर्दमंदी:सहृदयता, संवेदनशीलता; संवारा: सजाया; करिश्मा: चमत्कार; नूर का जल्वा : ईश्वरीय प्रकाश का दृश्य।