बहरहाल कुछ तो हुआ है ग़लत
तुम्हारी दुआ या दवा है ग़लत
ख़बर ही नहीं है शहंशाह को
कि हर मा'मले में अना है ग़लत
हुकूमत निकल जाएगी हाथ से
अगर सोच का सिलसिला है ग़लत
तमाशा -ए- ऐवाने - जम्हूर में
बहस का हरेक मुद्द'आ है ग़लत
न हिंदू भला है न मुस्लिम बुरा
कि ये: फ़र्क़ का फ़लसफ़ा है ग़लत
ख़ुदा लाख हमको पुकारा करे
कहां ढूंढिए हर पता है ग़लत !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बहरहाल: अंततोगत्वा, अंततः; दुआ: प्रार्थना; ख़बर: बोध, ज्ञान; अना: अहंकार; हुकूमत: शासन, सत्ता; सोच का सिलसिला: विचारधारा; तमाशा-ए-ऐवाने-जम्हूर: लोकतांतत्रिक सदनों के प्रहसन; मुद्द'आ: विषय; फ़लसफ़ा: दर्शन; बहर: छंद; क़ाफ़िया: तुकांत शब्द।
तुम्हारी दुआ या दवा है ग़लत
ख़बर ही नहीं है शहंशाह को
कि हर मा'मले में अना है ग़लत
हुकूमत निकल जाएगी हाथ से
अगर सोच का सिलसिला है ग़लत
तमाशा -ए- ऐवाने - जम्हूर में
बहस का हरेक मुद्द'आ है ग़लत
न हिंदू भला है न मुस्लिम बुरा
कि ये: फ़र्क़ का फ़लसफ़ा है ग़लत
ख़ुदा लाख हमको पुकारा करे
कहां ढूंढिए हर पता है ग़लत !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बहरहाल: अंततोगत्वा, अंततः; दुआ: प्रार्थना; ख़बर: बोध, ज्ञान; अना: अहंकार; हुकूमत: शासन, सत्ता; सोच का सिलसिला: विचारधारा; तमाशा-ए-ऐवाने-जम्हूर: लोकतांतत्रिक सदनों के प्रहसन; मुद्द'आ: विषय; फ़लसफ़ा: दर्शन; बहर: छंद; क़ाफ़िया: तुकांत शब्द।