मर्सिया आपने पढ़ा मेरा
मक़बरा आज रो दिया मेरा
लोग तो दिल जलाए बैठे हैं
क्या बुरा है कि घर जला मेरा
मौत ही दाएं-बांए होती थी
दर हमेशा खुला मिला मेरा
उन्स कहिए कि आशिक़ी कहिए
सर अदब में झुका रहा मेरा
इस तरफ़ मौज उस तरफ़ साहिल
लुट गया आज नाख़ुदा मेरा
बदगुमानी तबाह कर देगी
मानिए आप मश्वरा मेरा
एक दिन एतबार कर देखें
दिल ज़ियादह बुरा नहीं मेरा
हिज्र का वक़्त आ गया यारों
माफ़ कीजे कहा-सुना मेरा !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मर्सिया : शोक गीत; मक़बरा : समाधि; दर : द्वार ; उन्स : अनुराग ; आशिक़ी : प्रेम ; अदब : सम्मान ; मौज : तरंग, लहर ;
साहिल : तट ; नाख़ुदा : खेवनहार, नाविक; बदगुमानी : संदेह, आधारहीन विचार ; मश्वरा : परामर्श ; एतबार : विश्वास ; हिज्र : वियोग ।
मक़बरा आज रो दिया मेरा
लोग तो दिल जलाए बैठे हैं
क्या बुरा है कि घर जला मेरा
मौत ही दाएं-बांए होती थी
दर हमेशा खुला मिला मेरा
उन्स कहिए कि आशिक़ी कहिए
सर अदब में झुका रहा मेरा
इस तरफ़ मौज उस तरफ़ साहिल
लुट गया आज नाख़ुदा मेरा
बदगुमानी तबाह कर देगी
मानिए आप मश्वरा मेरा
एक दिन एतबार कर देखें
दिल ज़ियादह बुरा नहीं मेरा
हिज्र का वक़्त आ गया यारों
माफ़ कीजे कहा-सुना मेरा !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मर्सिया : शोक गीत; मक़बरा : समाधि; दर : द्वार ; उन्स : अनुराग ; आशिक़ी : प्रेम ; अदब : सम्मान ; मौज : तरंग, लहर ;
साहिल : तट ; नाख़ुदा : खेवनहार, नाविक; बदगुमानी : संदेह, आधारहीन विचार ; मश्वरा : परामर्श ; एतबार : विश्वास ; हिज्र : वियोग ।