हैरतज़दा हैं हिंद की बुनियाद देख कर
हिलती भी नहीं क़ुव्वते-फ़ौलाद देख कर
सीने में दर्द चश्म में शबनम तलक नहीं
हम हंस पड़े हैं ख़ुद को यूं बर्बाद देख कर
शे'रो -सुख़न के रास्ते वीरान हो गए
क़ातिल को तेरे शहर में आज़ाद देख कर
शीरीं हो सोहनी हो के: लैला-ओ-हीर हो
दिल कांपता है इश्क़ की रूदाद देख कर
आबो-हवा बदल गई दहशत में हैं परिंद
दरियादिली - ए- दामने-सय्याद देख कर !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हैरतज़दा: आश्चर्य-चकित; बुनियाद: नींव; क़ुव्वते-फ़ौलाद: इस्पात की सामर्थ्य; चश्म: आंख; शे'रो-सुख़न: काव्य-कला; वीरान: निर्जन; शीरीं, सोहनी, लैला, हीर: मध्य-कालीन प्रेम-गाथाओं की नायिकाएं; रूदाद: वृत्तांत, महागाथा; आबो-हवा: पर्यावरण; दहशत: आतंक; परिंद: पक्षी; दरियादिली-ए-दामने-सय्याद: बहेलिए की विशाल-हृदय उदारता।
हिलती भी नहीं क़ुव्वते-फ़ौलाद देख कर
सीने में दर्द चश्म में शबनम तलक नहीं
हम हंस पड़े हैं ख़ुद को यूं बर्बाद देख कर
शे'रो -सुख़न के रास्ते वीरान हो गए
क़ातिल को तेरे शहर में आज़ाद देख कर
शीरीं हो सोहनी हो के: लैला-ओ-हीर हो
दिल कांपता है इश्क़ की रूदाद देख कर
आबो-हवा बदल गई दहशत में हैं परिंद
दरियादिली - ए- दामने-सय्याद देख कर !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हैरतज़दा: आश्चर्य-चकित; बुनियाद: नींव; क़ुव्वते-फ़ौलाद: इस्पात की सामर्थ्य; चश्म: आंख; शे'रो-सुख़न: काव्य-कला; वीरान: निर्जन; शीरीं, सोहनी, लैला, हीर: मध्य-कालीन प्रेम-गाथाओं की नायिकाएं; रूदाद: वृत्तांत, महागाथा; आबो-हवा: पर्यावरण; दहशत: आतंक; परिंद: पक्षी; दरियादिली-ए-दामने-सय्याद: बहेलिए की विशाल-हृदय उदारता।