सितम कीजिए या दग़ा कीजिए
ख़ुदा के लिए ख़ुश रहा कीजिए
दुआ है फ़रिश्ते मिलें आपको
न हो तो हमीं से वफ़ा कीजिए
बुरे वक़्त में बेहतरी के लिए
लबों पर तबस्सुम रखा कीजिए
सितारे पहुंच से अगर दूर हैं
तो किरदार अपना बड़ा कीजिए
फ़क़ीरो-शहंशाह सब एक हैं
निगाहें उठा कर जिया कीजिए
न बदलेंगे मस्लक किसी हाल में
मुरीदों से लिखवा लिया कीजिए
ज़रूरी नहीं आप सज्दा करें
सलामो-दुआ तो किया कीजिए !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सितम: अत्याचार; दग़ा: छल;फ़रिश्ते :देवदूत;वफ़ा :निर्वाह; बेहतरी : उत्तमता; लबों : होठों; तबस्सुम : मुस्कान ; किरदार :व्यक्तित्व,चरित्र;मस्लक:पंथ;मुरीदों :भक्तजन,अनुयायी; सज्दा :साष्टांग प्रणाम;सलामो-दुआ :नमस्कार एवं शुभेच्छा।
ख़ुदा के लिए ख़ुश रहा कीजिए
दुआ है फ़रिश्ते मिलें आपको
न हो तो हमीं से वफ़ा कीजिए
बुरे वक़्त में बेहतरी के लिए
लबों पर तबस्सुम रखा कीजिए
सितारे पहुंच से अगर दूर हैं
तो किरदार अपना बड़ा कीजिए
फ़क़ीरो-शहंशाह सब एक हैं
निगाहें उठा कर जिया कीजिए
न बदलेंगे मस्लक किसी हाल में
मुरीदों से लिखवा लिया कीजिए
ज़रूरी नहीं आप सज्दा करें
सलामो-दुआ तो किया कीजिए !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सितम: अत्याचार; दग़ा: छल;फ़रिश्ते :देवदूत;वफ़ा :निर्वाह; बेहतरी : उत्तमता; लबों : होठों; तबस्सुम : मुस्कान ; किरदार :व्यक्तित्व,चरित्र;मस्लक:पंथ;मुरीदों :भक्तजन,अनुयायी; सज्दा :साष्टांग प्रणाम;सलामो-दुआ :नमस्कार एवं शुभेच्छा।