तेरा निज़ाम, तेरी सल्तनत; मेरा क्या है ?
हर एक शै पे तेरे दस्तख़त, मेरा क्या है!
धड़क रहा हूँ मैं सीने में तेरे दिल बन के
समझ न पाए तू गर कैफ़ियत,मेरा क्या है
तेरा फ़रेब-ए-नज़र जब तुझी पे भारी हो
तो साथ देगी मेरी उन्सियत, मेरा क्या है
संभाल अपनी अदाएं के: हंस पड़ेंगे लोग
सभी के सामने है असलियत मेरा क्या है
मेरा रक़ीब मेरा दोस्त हुआ चाहे है
ख़ुदा की होगी कोई मस्लेहत मेरा क्या है
तेरे बग़ैर तो न जाउंगा ख़ुदा के घर
मिले-मिले न मिले मग़फ़िरत , मेरा क्या है
ख़ुदी को भूल के हम पे कभी ईमां तो ला
संवर उठेगी तेरी आक़बत , मेरा क्या है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: निज़ाम: शासन; सल्तनत: राज्य; शै: चीज़; दस्तख़त: हस्ताक्षर, छाप;
कैफ़ियत: वस्तुस्थिति; फ़रेब-ए-नज़र: दृष्टि से किया जाने वाला धोखा;
उन्सियत:लगाव; रक़ीब:शत्रु; मस्लेहत: गुप्त शुभ-उद्देश्य; मग़फ़िरत:मोक्ष;
ख़ुदी: अहंकार; ईमां: आस्था; आक़बत: प्रारब्ध।
हर एक शै पे तेरे दस्तख़त, मेरा क्या है!
धड़क रहा हूँ मैं सीने में तेरे दिल बन के
समझ न पाए तू गर कैफ़ियत,मेरा क्या है
तेरा फ़रेब-ए-नज़र जब तुझी पे भारी हो
तो साथ देगी मेरी उन्सियत, मेरा क्या है
संभाल अपनी अदाएं के: हंस पड़ेंगे लोग
सभी के सामने है असलियत मेरा क्या है
मेरा रक़ीब मेरा दोस्त हुआ चाहे है
ख़ुदा की होगी कोई मस्लेहत मेरा क्या है
तेरे बग़ैर तो न जाउंगा ख़ुदा के घर
मिले-मिले न मिले मग़फ़िरत , मेरा क्या है
ख़ुदी को भूल के हम पे कभी ईमां तो ला
संवर उठेगी तेरी आक़बत , मेरा क्या है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: निज़ाम: शासन; सल्तनत: राज्य; शै: चीज़; दस्तख़त: हस्ताक्षर, छाप;
कैफ़ियत: वस्तुस्थिति; फ़रेब-ए-नज़र: दृष्टि से किया जाने वाला धोखा;
उन्सियत:लगाव; रक़ीब:शत्रु; मस्लेहत: गुप्त शुभ-उद्देश्य; मग़फ़िरत:मोक्ष;
ख़ुदी: अहंकार; ईमां: आस्था; आक़बत: प्रारब्ध।