अल्लः अल्लः हुज़ूर की बातें
मुफ़लिसी में ग़ुरूर की बातें
शिद्दते-इश्क़ का करिश्मा है
पास लगती हैं दूर की बातें
दाल-रोटी यहां नसीब नहीं
ख़ाक सुनिए फ़ुतूर की बातें
जाम पीकर सिखा गए ज़ाहिद
आसमानी शऊर की बातें
नाम ग़ालिब युं ही नहीं उनका
ख़ुल्द में भी सुरूर की बातें
बाग़े-रिज़वां तलाश आए हम
झूठ हैं हुस्ने-हूर की बातें
आज मेहमां हैं वो: हमारे घर
याद करते हैं तूर की बातें !
(2013)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुफ़लिसी: विपन्नता ; ग़ुरूर: घमंड; शिद्दते-इश्क़: प्रेम की तीव्रता; करिश्मा: चमत्कार; फ़ुतूर: मनोविकार; ज़ाहिद: तपस्वी, संयमी, उपदेशक; आसमानी शऊर: स्वर्गिक, पारलौकिक शिष्टाचार; ग़ालिब: महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब; ख़ुल्द: स्वर्ग;
सुरूर: नशा, उन्माद; बाग़े-रिज़वां: रिज़वान का बाग़, स्वर्ग का वह बाग़ जिसका रक्षक रिज़वान है; हुस्ने-हूर: अप्सराओं का सौंदर्य;
तूर: अरब का एक मिथकीय पर्वत जहां हज़रत मूसा अ. स. ने ख़ुदा के प्रकाश की झलक देखी।
मुफ़लिसी में ग़ुरूर की बातें
शिद्दते-इश्क़ का करिश्मा है
पास लगती हैं दूर की बातें
दाल-रोटी यहां नसीब नहीं
ख़ाक सुनिए फ़ुतूर की बातें
जाम पीकर सिखा गए ज़ाहिद
आसमानी शऊर की बातें
नाम ग़ालिब युं ही नहीं उनका
ख़ुल्द में भी सुरूर की बातें
बाग़े-रिज़वां तलाश आए हम
झूठ हैं हुस्ने-हूर की बातें
आज मेहमां हैं वो: हमारे घर
याद करते हैं तूर की बातें !
(2013)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुफ़लिसी: विपन्नता ; ग़ुरूर: घमंड; शिद्दते-इश्क़: प्रेम की तीव्रता; करिश्मा: चमत्कार; फ़ुतूर: मनोविकार; ज़ाहिद: तपस्वी, संयमी, उपदेशक; आसमानी शऊर: स्वर्गिक, पारलौकिक शिष्टाचार; ग़ालिब: महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब; ख़ुल्द: स्वर्ग;
सुरूर: नशा, उन्माद; बाग़े-रिज़वां: रिज़वान का बाग़, स्वर्ग का वह बाग़ जिसका रक्षक रिज़वान है; हुस्ने-हूर: अप्सराओं का सौंदर्य;
तूर: अरब का एक मिथकीय पर्वत जहां हज़रत मूसा अ. स. ने ख़ुदा के प्रकाश की झलक देखी।