फ़साना तो हमारा मुख़्तसर था
बहुत लंबा मगर दिल का सफ़र था
कहा किसने कि तड़पो याद करके
चले आते ज़रा-सी दूर घर था
बहकना ही पड़ा नासेह तुझको
न पीता शैख़ तू सच्चा अगर था
निगाहे- ख़ुम्र पर मग़रूर मत हो
नशा तुझमें तो हंगामा इधर था
मिटा देते हमें गर हौसला था
वहां ख़ंजर यहां बेताब सर था
फ़क़त सुकरात को क्यूं याद कीजे
हमारे जाम में भी तो ज़हर था
ख़ुदा राज़ी न था यूं मग़फ़िरत को
दलीलों में हमारी तो असर था !
(2016 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़साना: आख्यान, कथा; मुख़्तसर: संक्षिप्त; सफ़र : मार्ग, यात्रा; नासेह : शिक्षा देने वाला, उपदेशक; शैख़ :धर्म-भीरु;
निगाहे- ख़ुम्र :मदिर दृष्टि, मदमत्त नयन; मग़रूर: गर्वोन्मत्त; हौसला :साहस, इच्छा-शक्ति; ख़ंजर :क्षुरा; बेताब :अधीर; फ़क़त :मात्र;
सुकरात: प्राचीन यूनानी दार्शनिक, जिसे सच बोलने पर विष पिला कर मार दियागया था; मग़फ़िरत :मोक्ष; दलीलों:तर्को; असर: प्रभाव ।
बहुत लंबा मगर दिल का सफ़र था
कहा किसने कि तड़पो याद करके
चले आते ज़रा-सी दूर घर था
बहकना ही पड़ा नासेह तुझको
न पीता शैख़ तू सच्चा अगर था
निगाहे- ख़ुम्र पर मग़रूर मत हो
नशा तुझमें तो हंगामा इधर था
मिटा देते हमें गर हौसला था
वहां ख़ंजर यहां बेताब सर था
फ़क़त सुकरात को क्यूं याद कीजे
हमारे जाम में भी तो ज़हर था
ख़ुदा राज़ी न था यूं मग़फ़िरत को
दलीलों में हमारी तो असर था !
(2016 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़साना: आख्यान, कथा; मुख़्तसर: संक्षिप्त; सफ़र : मार्ग, यात्रा; नासेह : शिक्षा देने वाला, उपदेशक; शैख़ :धर्म-भीरु;
निगाहे- ख़ुम्र :मदिर दृष्टि, मदमत्त नयन; मग़रूर: गर्वोन्मत्त; हौसला :साहस, इच्छा-शक्ति; ख़ंजर :क्षुरा; बेताब :अधीर; फ़क़त :मात्र;
सुकरात: प्राचीन यूनानी दार्शनिक, जिसे सच बोलने पर विष पिला कर मार दियागया था; मग़फ़िरत :मोक्ष; दलीलों:तर्को; असर: प्रभाव ।