तोड़ कर दिल मियां चले आए
छोड़ कर दास्तां चले आए
क़ीमतें यूं बढ़ीं ज़मीनों की
हम दरे-आसमां चले आए
था कहीं एक घर हमारा भी
क्या बताएं, कहां चले आए
नींद जब ख़्वाब के सफ़र में थी
वो: कहीं दरम्यां चले आए
ईद के दिन गले लगाएंगे
सोच कर मेह्रबां चले आए
ये: ख़राबात है, मियां मोमिन
क्या समझ कर यहां चले आए ?
जल्दबाज़ी नहीं ख़ुदा को यूं
पर मिरे रहनुमां चले आए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दास्तां: आख्यान; दरे-आसमां: ईश्वर के द्वार; दरम्यां: मध्य में; मेह्रबां: कृपालु; ख़राबात: मदिरालय; मोमिन: धार्मिक, आस्तिक; रहनुमां: पथ-प्रदर्शक, मृत्यु-दूत।
छोड़ कर दास्तां चले आए
क़ीमतें यूं बढ़ीं ज़मीनों की
हम दरे-आसमां चले आए
था कहीं एक घर हमारा भी
क्या बताएं, कहां चले आए
नींद जब ख़्वाब के सफ़र में थी
वो: कहीं दरम्यां चले आए
ईद के दिन गले लगाएंगे
सोच कर मेह्रबां चले आए
ये: ख़राबात है, मियां मोमिन
क्या समझ कर यहां चले आए ?
जल्दबाज़ी नहीं ख़ुदा को यूं
पर मिरे रहनुमां चले आए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दास्तां: आख्यान; दरे-आसमां: ईश्वर के द्वार; दरम्यां: मध्य में; मेह्रबां: कृपालु; ख़राबात: मदिरालय; मोमिन: धार्मिक, आस्तिक; रहनुमां: पथ-प्रदर्शक, मृत्यु-दूत।