तकरीर की परवा: कौन करे
बेपीर की परवा: कौन करे
दिलवाले दिल पर मरते हैं
तस्वीर की परवा: कौन करे
जो तीर निगाहों से निकले
उस तीर की परवा: कौन करे
ख़त के मौजूं से मतलब है
तहरीर की परवा: कौन करे
वो: ज़ह्र पिलाएं या आंसू
तासीर की परवा: कौन करे
हम ख़्वाबतराशी करते हैं
ता'बीर की परवा: कौन करे
है ज़ार निशाने पर अपने
ता'ज़ीर की परवा: कौन करे
हालात बग़ावत के हों जब
ज़ंजीर की परवा: कौन करे
बारूद रग़ों में है जब तक
शमशीर की परवा: कौन करे !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तकरीर : भाषण; परवा: चिंता; बेपीर: निर्दयी; ख़त : पत्र; मौजूं : विषय; तहरीर : हस्तलिपि; ज़ह्र : विष; तासीर: प्रभाव; ख़्वाबतराशी : स्वप्न को सुंदर बनाना; ता'बीर : स्वप्न का फल; ज़ार : अत्याचारी शासक; ता'ज़ीर : दंड; हालात : परिस्थितियां; बग़ावत : विद्रोह; रग़ों: शिराओं; शमशीर: तलवार, कृपाण।
बेपीर की परवा: कौन करे
दिलवाले दिल पर मरते हैं
तस्वीर की परवा: कौन करे
जो तीर निगाहों से निकले
उस तीर की परवा: कौन करे
ख़त के मौजूं से मतलब है
तहरीर की परवा: कौन करे
वो: ज़ह्र पिलाएं या आंसू
तासीर की परवा: कौन करे
हम ख़्वाबतराशी करते हैं
ता'बीर की परवा: कौन करे
है ज़ार निशाने पर अपने
ता'ज़ीर की परवा: कौन करे
हालात बग़ावत के हों जब
ज़ंजीर की परवा: कौन करे
बारूद रग़ों में है जब तक
शमशीर की परवा: कौन करे !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तकरीर : भाषण; परवा: चिंता; बेपीर: निर्दयी; ख़त : पत्र; मौजूं : विषय; तहरीर : हस्तलिपि; ज़ह्र : विष; तासीर: प्रभाव; ख़्वाबतराशी : स्वप्न को सुंदर बनाना; ता'बीर : स्वप्न का फल; ज़ार : अत्याचारी शासक; ता'ज़ीर : दंड; हालात : परिस्थितियां; बग़ावत : विद्रोह; रग़ों: शिराओं; शमशीर: तलवार, कृपाण।