शहर के इरादे ग़लत तो नहीं हैं ?
कहीं इश्क़ज़ादे ग़लत तो नहीं हैं ?
बयाज़े-नज़र में बयां कुछ नहीं है
ये: सफ़हात सादे ग़लत तो नहीं हैं ?
यक़ीं है हमें पर तसल्ली नहीं है
ये: पुरज़ोर वादे ग़लत तो नहीं हैं ?
दिए जा रहे हैं जहां को नसीहत
ये: भगवा लबादे ग़लत तो नहीं हैं ?
जहां शाह कह दे वहीं जान दे दें
ये: मजबूर प्यादे ग़लत तो नहीं हैं ?
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: इरादे: मंतव्य; इश्क़ज़ादे: प्रेम-संतान (व्यंगार्थ); बयाज़े-नज़र: दृष्टि-दैनंदिनी; बयां: वक्तव्य; सफ़हात: पृष्ठ (बहुव.); यक़ीं: विश्वास; तसल्ली: आश्वस्ति; पुरज़ोर: बलीकृत; नसीहत: उपदेश, शिक्षा; लबादे: लंबे वस्त्र; मजबूर: विवश; प्यादे: पैदल सैनिक ।
कहीं इश्क़ज़ादे ग़लत तो नहीं हैं ?
बयाज़े-नज़र में बयां कुछ नहीं है
ये: सफ़हात सादे ग़लत तो नहीं हैं ?
यक़ीं है हमें पर तसल्ली नहीं है
ये: पुरज़ोर वादे ग़लत तो नहीं हैं ?
दिए जा रहे हैं जहां को नसीहत
ये: भगवा लबादे ग़लत तो नहीं हैं ?
जहां शाह कह दे वहीं जान दे दें
ये: मजबूर प्यादे ग़लत तो नहीं हैं ?
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: इरादे: मंतव्य; इश्क़ज़ादे: प्रेम-संतान (व्यंगार्थ); बयाज़े-नज़र: दृष्टि-दैनंदिनी; बयां: वक्तव्य; सफ़हात: पृष्ठ (बहुव.); यक़ीं: विश्वास; तसल्ली: आश्वस्ति; पुरज़ोर: बलीकृत; नसीहत: उपदेश, शिक्षा; लबादे: लंबे वस्त्र; मजबूर: विवश; प्यादे: पैदल सैनिक ।