1. नया निज़ाम है, झुक-झुक के एहतेराम करो
न सर उठे न निगह, इस तरह सलाम करो
2. चुना था मुल्क ने तो तुम भी हक़ अदा करते
ये: कैसा फ़र्ज़ के: जीना तलक हराम करो
3. अदीब हो तो किसी दिल में उतर के देखो
ये: क्या सितम के: सियासत में सुब्ह-शाम करो
4. तुम्हारा हुस्न जहां को ख़ुदा की नेमत है
तुम्हें ये: ज़ेब नहीं है के: क़त्ल-ए-आम करो
5. बदल रहे हैं वो: सारे जहान की सूरत
उठो मियां, नई दुनिया का इंतेज़ाम करो !
( 2003/2013)
-सुरेश स्वप्निल
सन्दर्भ: 1. उमा भारती के म. प्र. के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उनके क्रिया-कलाप पर
2. डॉ . मनमोहन सिंह के अमेरिका-परस्त पूंजीवादी तौर-तरीक़ों पर
3. अटल जी की काव्य-पुस्तिका के प्रकाशन पर
4/5. सोनिया-मनमोहन की जुगलबंदी में आम आदमी की विरोधी आर्थिक नीतियों पर
शब्दार्थ: निज़ाम: प्रशासन; एहतेराम: सम्मान; अदीब: साहित्यकार; नेमत: देन; ज़ेब: उचित, शोभा देना
न सर उठे न निगह, इस तरह सलाम करो
2. चुना था मुल्क ने तो तुम भी हक़ अदा करते
ये: कैसा फ़र्ज़ के: जीना तलक हराम करो
3. अदीब हो तो किसी दिल में उतर के देखो
ये: क्या सितम के: सियासत में सुब्ह-शाम करो
4. तुम्हारा हुस्न जहां को ख़ुदा की नेमत है
तुम्हें ये: ज़ेब नहीं है के: क़त्ल-ए-आम करो
5. बदल रहे हैं वो: सारे जहान की सूरत
उठो मियां, नई दुनिया का इंतेज़ाम करो !
( 2003/2013)
-सुरेश स्वप्निल
सन्दर्भ: 1. उमा भारती के म. प्र. के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उनके क्रिया-कलाप पर
2. डॉ . मनमोहन सिंह के अमेरिका-परस्त पूंजीवादी तौर-तरीक़ों पर
3. अटल जी की काव्य-पुस्तिका के प्रकाशन पर
4/5. सोनिया-मनमोहन की जुगलबंदी में आम आदमी की विरोधी आर्थिक नीतियों पर
शब्दार्थ: निज़ाम: प्रशासन; एहतेराम: सम्मान; अदीब: साहित्यकार; नेमत: देन; ज़ेब: उचित, शोभा देना